अपने लिए जिन्दगी जीना है।अपनो के कार्य में सहायक अवश्य बनो।लेकिन उनके साथ सम्बन्ध एक सीमा तक रखो मोह के अधीन नहीं होओ।हमे कर्तव्य पथ पर चलना है अपनो के लिए जिन्दगी जिओगे तब कभी पार नहीं पा सकते हैं।अपनी इच्छाए बङी नहीं है अपनो की इच्छाए कभी पुरी नही कर पाओगे। उनकी आप कितनी ही इच्छाए पुरण करो अन्त में कुछ नही मिलेगा ।सम्बन्ध निभाना गलत नहीं है सम्बन्धों के अधिन होना गलत है। हम जीवन में परिवारिक कार्य करके सोचते हैं हम तो सबका बहुत कुछ कर रहे हैं। यह शारीरिक कार्य है हमे अपने अन्तर्मन की ओर दृष्टि करनी है अपने लिए जिन्दगी जीने से तात्पर्य अपने सुख को सर्वोपरि मानना नहीं है। अपने मन में विचार करे यह जीवन सत्य नहीं है यंहा से एक दिन चले जाना हैं। तु परिवार और वैभव के अधिन मत हो। अमुक Relation मुझे बहुत कुछ देंगा। ऐसे विचारों के अधिन मत हो। यह सुख के स्त्रोत नहीं है तुझे भगवान ने पृथ्वी पर खाने पीने सोने के लिए मनुष्य जन्म प्रदान नहीं किया है। जिस भगवान ने तुझे बनाया है। उस परम पिता परमात्मा के साथ सम्बन्ध बना। तेरी अन्तर आत्मा परमात्मा में समा जाना चाहती है तेरा परमात्मा कंही बाहर नहीं है तु परम तत्व की ओर दृष्टि कर तेरा अपना अन्दर बैठा है अपने से बात कर के देखो। बाहर वाले के सामने शीश झुकाते है हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं फिर भी बाहर का भगवान बाहर ही बैठा रहता है। दिल मचल जाता है कैसे भगवान को नैनों में बिठाऊ। तङफ बढ जाती है। दिल मे बैठे भगवान से पल भर बात कर लो दिल की मुराद पूरी हो जाएगी। क्योंकि बाहर जिस मन्दिर और मुर्ति के आगे शीश झुकाते है वह मानव द्वारा निर्मित हैं। जिसे अन्तर्मन मे खोजते है वह तो पहले से अन्दर बैठा है। भगवान कहते हैं तु मेरी ओर नज़र तो कर। तेरी नजर में नुर भर दुंगा जय श्री राम अनीता गर्ग
You have to live life for yourself. Be helpful in your work. But keep your relationship with them to a limit. Don’t be under attachment. No, you will never be able to fulfill your wishes. No matter how many wishes you fulfill, you will not get anything in the end. It is not wrong to maintain relationships, it is wrong to be subordinate to relationships. We do family work in life and think that we are doing a lot for everyone. This is physical work, we have to look towards our conscience, living life for ourselves does not mean considering our happiness as paramount. Think in your mind, this life is not true, you have to leave from here one day. Do not be subordinate to family and glory. Such relation will give me a lot. Don’t fall prey to such thoughts. It is not a source of happiness, God has not given you human birth on earth to eat and drink. The God who made you. Establish a relationship with that Supreme Father, the Supreme Soul. Your inner soul wants to get absorbed in God, your God is not outside anywhere, you are sitting inside your own self by looking towards the Supreme, talk to yourself and see. They bow their heads in front of the outsider, bow their hands with folded hands, yet the outside God remains sitting outside. My heart breaks, how can I make God sit in the nano? The side increases. Talk to the God sitting in the heart for a moment, the wish of the heart will be fulfilled. Because the temples and idols in front of which they bow their heads are made by humans. The one who seeks deep inside is already sitting inside. God says you look at me. In your eyes, I will fill you with joy, Jai Shri Ram, Anita Garg