भगवान का उपासक 2

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भक्त कहता है कि वास्तव में ये काया रूपी झोपड़ी भगवान की है इस झोपड़ी में आत्मा रूपी दिया भगवान ने उजागर किया है। इस आत्मा  दिये की रक्षा भगवान श्री हरि वैसे ही करते हैं। जैसे एक नई ब्याही हुई कन्या का दिल  क्षण क्षण में अपने पति को देखकर और याद करके खुश हो जाता है और एक छोटे शिशु की मां के दिल में हर कार्य करते हुए बच्चा मां के पास भावनात्मक रूप से होता है वैसे ही हम कुछ भी करे भगवान को हम अपना मान लेते हैं तब एक मां और कन्या के दिल का भाव तो कुछ समय के बाद परिवर्तित हो जाता है पर उपासक के दिल में नित नये भाव बनते रहते हैं वह भगवान से हर क्षण जुड़ा रहता है भोजन कर रहा है भगवान से वार्तालाप हो रही भगवान को भज रहा है दिल में आनन्द छलक रहा है  नाम अमृत रस का रसपान विरले ही कर पाते हैं। ये भगवान की सेवा भगवान ही कर रहे हैं। ऐसे ये झोपड़ी भगवान की बन जाती है जंहा सुख दुख दोनों में आनन्द होता है प्रभु प्राण नाथ को भजने में आनन्द हीआंनद है  जब कभी भक्त भगवान को नहीं भज पाता है। तब वह अन्तर्मन से भगवान को पुकारता है उस समय भक्त भगवान का चिन्तन करते हुए भगवान के भाव में गहरी डुबकी लगाता है।  उपासक को दुख और strong कर देता है भक्त को दुख कभी तोड़ नहीं सकता है दुख बाहर का विषय है। एक सच्चा भक्त दुख को अन्तर्मन से पढता है उस दुख को अध्यात्मवाद के तराजू पर रखता है और सोचता है दुख तो शरीर का है। आत्मा सत्य है। जिस प्रकार वर्षा के बाद बादल छट जाते आसमान दुधिया हो जाता है। वैसे ही भक्त जानता है कि दुख  शुद्धता का मार्ग है। हमारे मन में संसारिक सुख  कामनाएँ और अहम भाव बना हुआ होता है हम मौन रहकर इन सब विचारों से ऊपर उठ जाते हैं। प्राणी के अन्दर नई ऊर्जा रोप जाती है नई नीति भगवान नाम का प्रेम हदय  प्रेम से पुरण होता नया उजाला जागृत होता है मस्तक का तेज बताता है डुबकी कितनी गहरी थी साथी परमात्मा बन जाता है तभी तेज देदीपयमान होता है दुख में भक्ति निखरती है क्योंकि दुख में हम मौन की चादर ओढकर मन ही मन परम सत्य स्वरूप परमात्मा को रात दिन भजते है मन ही मन नतमस्तक होकर प्रार्थना करते हैं दुख अन्तर्मन का मार्ग है। अध्यात्मिक चिन्तन में भक्त कहता है आत्मा सत्य है आत्मा अजर अमर आत्म तत्व का ज्ञान मनुष्य का लक्ष्य है। हम पृथ्वी पर परम से सम्बन्ध बनाने आऐ है परम पिता परमात्मा ने इस झोपड़ी को बनाया झोपड़ी का रोम रोम परम प्रभु के प्रेम से सराबोर हो जाय। जय  श्री राम
अनीता गर्ग



The devotee says that in reality this body-shaped hut belongs to God, in this hut God has exposed the lamp in the form of a soul. Lord Shri Hari protects this soul lamp in the same way. Just like the heart of a newly married girl becomes happy by seeing and remembering her husband moment by moment and doing everything in the heart of the mother of a small child, the child is emotionally with the mother in the same way whatever we do We take God as our own, then the feeling of a mother and a girl’s heart changes after some time, but new feelings are created in the heart of the worshiper, he is connected to God every moment, he is eating with God. The conversation going on is worshiping God, joy is pouring out in the heart. Rarely are able to sip the nectar of the name. They are serving God only. Such a hut becomes of God, where there is joy in both happiness and sorrow, there is joy in worshiping Lord Pran Nath, whenever the devotee is unable to worship God. Then he calls out to the Lord from the heart, at that time the devotee takes a deep dip in the bhava of the Lord while contemplating the Lord. Makes the worshiper suffer and strengthens the devotee’s sorrow can never break the misery is an external subject. A true devotee who reads sorrow from the heart, puts that suffering on the scales of spiritualism and thinks that the suffering is of the body. Spirit is truth. The sky turns milky as the clouds disperse after the rain. Similarly, the devotee knows that suffering is the path to purity. Worldly pleasures, desires and important feelings remain in our mind, we remain silent and rise above all these thoughts. New energy is planted inside the creature, a new policy, the name of God is filled with love, a new light is awakened, the brightness of the head tells how deep the dip was, the partner becomes divine, only then the brightness shines, devotion shines in sorrow because of sorrow We worship God night and day by covering the sheet of silence in our mind, the Supreme Truth, we pray with bowing down in our mind. In spiritual contemplation, the devotee says that the soul is true, the soul is immortal, the knowledge of the immortal soul element is the goal of man. We have come on earth to have a relationship with the Supreme Lord, the Supreme Father, the Supreme Soul, made this hut. Long live Rama Anita Garg

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