कुछ वैष्णव दिनांक 06 अक्टूबर एकादशी से 35 दिन पूर्णिमा तक का कार्तिक नियम व्रत लेंगे
और कुछ वैष्णव 09 अक्टूबर पूर्णिमा से अगली पूर्णिमा तक का नियम लेंगे
गृहस्थ विशेषकर महिला वैष्णव 06 अक्टूबर एकादशी से पूर्णिमा तक 35 दिन का नियम लेते हैं, जिससे उनके मासिक धर्म के दिन कवर हो जाते हैं
कार्तिक मास को वैष्णव भाषा में दामोदर मास भी कहा जाता है । इसी माह में यशोदा मैया ने भगवान कृष्ण को रस्सी से उखल के साथ बांधा था
कार्तिक मास में वैष्णव जन विशेष भजन का नियम लेते हैं । केंद्र में भजन होता है और भजन के लिए आवश्यक है कि हमारा खान-पान दिनचर्या सोच विचार सात्विक हो और भजन के अनुकूल हो
केवल जमीन पर सोना सूर्योदय से पूर्व उठ जाना फलानी चीज खाना और फलानी चीज नहीं खाना इस पर केंद्रित होना और भजन ना बढ़ाना भजन ना करना यह अच्छी बात नहीं है
जितने भी सदाचार, भोजन के परहेज, ब्रह्मचर्य का पालन, भूमि शयन, कम सोना, रात में नहीं खाना यह सब इसलिए है कि हमारा शरीर सात्विक रहे, शरीर में विकार ना आए और इस शरीर से जितना हम चाहते हैं उतना भजन हो पाए।
मुख्य बात है भजन । साथ ही भजन के अंगों में
सूर्योदय से पूर्व उठकर तुरन्त स्नान
दामोदर अष्टक का पाठ
तुलसी जी की 108 या 4 परिक्रमा
तुलसी जी को दीपदान एवम तुलसी सेवा
ठाकुर जी को दीपदान
मंदिर दर्शन
वैष्णव ग्रन्थ श्रवण या पठन
धाम में है तो दामोदर की चार परिक्रमा आदि आदि और अंतिम दिन द्वादशी को
कार्तिक व्रत उद्यापन ।
यह सब होता रहे, शरीर स्वस्थ रहे इसके लिए भोजन आदि की, सदाचार की व्यवस्था की गई है ।
भोजन को सरल बनाने के लिए भी एक अच्छा तरीका है । कार्तिक मास में खाने की किन्हीं 10 चीजों की आप लिस्ट बना लें । इस माह में केवल उन 10 चीजों को ही दस सब्जियों को ही आगे पीछे करके खाएं ।
नमक से काम
मिर्च से क्रोध
मीठे से लोभ
दूध पदार्थ से मोह बढ़ता है, अतः सावधान
यह भी इसलिए है कि हम स्वाद पर कंट्रोल कर पाए क्योंकि जो हमारी जिह्वा है यह बहुत ही शक्तिमान इन्द्रिय है ।
जिह्वा की पुष्टि स्वाद द्वारा होती रही तो अन्य इंद्रियां भी अपना-अपना विषय मांगेगी और हम विषयों में लग जाएंगे तो भजन नहीं हो पाएगा
इस दृष्टि को ध्यान में रखते हुए एक ईमानदार साधक कार्तिक में अधिक भजन का व्रत लेता है और बहुत ही सरलता से उसका पालन करके श्री कृष्ण भक्ति की एक और सीढ़ी चढ़ जाता है
जय श्री राधे । जय श्री राधे कृष्ण
Some Vaishnavas will take a Kartik Niyama fast for 35 days from the date 06 October Ekadashi to the full moon.
And some Vaishnavas will take the rule from 09 October full moon to the next full moon
Households especially female Vaishnavas follow the 35-day rule from 06 October Ekadashi to full moon, covering their menstrual days
Kartik month is also called Damodar month in Vaishnava language. In the same month, Yashoda Maiya tied Lord Krishna with a rope.
In the month of Kartik, Vaishnavas follow the rule of special hymns. There is hymn in the center and for bhajan it is necessary that our food and eating routine should be sattvik and compatible with hymn.
It is not a good thing to only sleep on the ground, get up before sunrise, eat such things and do not eat such things; it is not a good thing to be focused on this and not to increase bhajans.
Whatever virtues, abstinence from food, observance of celibacy, sleeping on the ground, sleeping less, not eating at night, all this is so that our body should be sattvik, there should not be any disorder in the body and this body should be able to worship as much as we want.
The main thing is hymns. as well as in the parts of the hymn
wake up before sunrise and take a bath recitation of damodar ashtak 108 or 4 circumambulation of Tulsi Lamp donation and Tulsi service to Tulsi ji Deepdan to Thakur ji Temple Darshan vaishnava texts listening or reading If it is in Dham, then there are four rounds of Damodar etc. and on the last day on Dwadashi. Kartik Vrat Udyapan.
All this keeps happening, for the body to be healthy, arrangements have been made for food, etiquette, etc.
Also a good way to simplify the meal. Make a list of any 10 things to eat in Kartik month. In this month, eat only those 10 things by moving ten vegetables back and forth.
work with salt rage with chili lust for sweets Infatuation with milk substance increases, so be careful
This is also because we are able to control the taste because our tongue is a very powerful sense organ.
If the tongue continues to be confirmed by taste, then other senses will also ask for their subject and if we get engaged in the subjects, then there will be no bhajan.
Keeping this vision in mind, a sincere seeker takes a fast for more bhajans in Kartik and very simply follows it and climbs another ladder of devotion to Shri Krishna.
Jai Shri Radhe . Jai Shri Radhe Krishna