श्रीप्रिया जी का मंजुल स्पर्श

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सुबह का समय है। श्रीप्रिया-प्रियतम ने बालभोग आरोग लिया है।
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मुख-प्रक्षालन करके श्रीप्रिया-प्रियतम ने ताम्बूल पा लिया है।
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इसी समय श्री ललिता जी कहती हैं- हे स्वामिनी जू !..
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आप मेरे साथ चलिये। आपको मैं एक सुंदर दृश्य का दर्शन कराऊँगी।
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श्रीप्रिया-प्रियतम मन में दर्शन की चाह लिए हुए श्री ललिता जी के साथ चल पड़ते हैं।
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श्री यमुना जी के किनारे-किनारे चले जा रहे हैं। एक पूर्णतः निर्जन स्थान आता है। वहाँ एक छोटी सी कुटिया है।
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कुटिया के द्वार पर ले जाकर श्री ललिता जी श्रीप्रिया-प्रियतम को खड़ा कर देती हैं, पर वहाँ तो कुछ भी दर्शनीय दर्शय नही है।
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श्री ललिता जी युगल सरकार से कहती हैं- इस कुटिया में एक गोपी है।
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जब मैं प्रातः इधर से निकली तो वह एक छंद में रो-रोकर गा रही थी।
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मत निराश हो, पड़ी रहो बस
निरवधि अविचल कुंज द्वार पर।
बात बनेगी कभी एक दिन
आएगा वह मंगल अवसर।।
करुणा होगी कृपामयी की
आर्त हृदय का रोदन सुनकर।
हस्त-कमल राधारानी का होगा
निश्चय ही कभी शीश पर।।
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ऐसा लगता है कि गाते-गाते भावाधिक्य में उसकी वाणी अवरूद्ध हो गयी है। थोड़ी देर प्रतीक्षा करना उचित होना।
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श्री ललिता जी की बात सुनकर श्रीप्रिया-प्रियतम प्रतीक्षा करने लगते हैं।
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प्रतीक्षा का अंत आता है और स्खलित वाणी में सुनने को मिलता है-
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वह दिन कब आयेगा अनुपम,
सफल नयन हों दर्शन पाकर।
वह क्षण कब जब, राधारानी
रख दें मेरे शीष मृदुल कर।।
अपनी रूचि अनुसार बना लें,
मेरे जीवन को अति सुंदर।
और युगल-सेवा में रख लें,
अपनी दासी सहज मान कर।।
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यह सुनते ही श्रीप्रिया जी का हृदय द्रवित हो उठता है…
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वे प्रियतम सहित कुटिया में प्रवेश करती हैं तथा उसके शीश पर अपना कोमल करपल्लव रख देती हैं।
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मंजुल स्पर्श पाकर वह गोपी चौंक उठती है और देखती है कि मेरे समक्ष युगल सरकार खड़े हैं।
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समीप रखे पुष्पों को चरणों पर चढ़ाकर वह समर्पितात्मा गोपी सजल नयन एवं सिक्त कपोलों से उनको अपलक निहारने लगती है।
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श्रीप्रिया-प्रियतम की यह द्रवणशीलता मेरे नयनों में सदा बसी रहे, ऐसा कब होगा ?



It’s morning time. Sripriya-Priyatam has taken child care. , Sripriya-Priyatam has attained the tambul by doing mouth-washing. , At the same time Shri Lalita ji says – O Swamini Ju!.. , You go with me I will show you a beautiful sight. , Shripriya-beloved goes with Shri Lalita ji with a desire to have darshan in the mind. , Shri Yamuna ji is going to the banks. A completely deserted place comes. There is a small hut there. , Shri Lalita ji makes Shripriya-Priyatam stand up by taking her to the door of the hut, but there is nothing visible there. , Shri Lalita ji tells the couple Sarkar – There is a gopi in this hut. , When I left here in the morning, she was crying in a verse. , don’t be discouraged just keep lying down Uninterrupted at the doorway. talk will happen someday That auspicious occasion will come. mercy will be merciful Hearing the cries of the heart. The hand-lotus will be of Radharani Certainly sometimes on the head. , It seems that his speech has become blocked due to excessive emotion while singing. It would be appropriate to wait a while. , Hearing the words of Shri Lalita ji, Shripriya-Priyatam starts waiting. , The wait comes to an end and it is heard in the ejaculatory voice- , When will that day come Anupam, May you be successful by getting darshan. That moment when, Radharani Keep my head soft. Customize it according to your interest Beautiful my life. And keep it in double service, Treat yourself as your maidservant. , Hearing this, Shripriya ji’s heart melts. , She enters the hut with the beloved and places her soft Karpallav on his head. , She gets shocked seeing Manjul touch and sees couple Sarkar standing in front of me. , Offering the flowers kept near her feet, the devoted soul begins to gaze at them with gopi’s water and moistened cupolas. , May this fluidity of Shripriya-Priyatam always remain in my eyes, when will this happen?

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