भगवान निरन्तर हम पर कृपा करते रहते है लेकिन हम कभी-कभी उनकी कृपा को महसूस नही कर पाते………
एक सुन्दर कथा के माध्यम से समझिए
एक बार की बात है बहुत तेज बारिश हो रही थी। दो मटके(घड़े) बाहर रखे हुए थे।
बारिश में दोनों भीग रहे थे। थोड़ी देर के बाद जब बारिश बंद हुई तो एक मटका भर गया और दूसरा खाली रह गया।
जो मटका खाली रह गया गया वो वर्षा से कहता है अरी वर्षा तू पक्षपात(भेदभाव) करती है।
तूने इसे भर दिया है लेकिन मुझे नहीं भरा।
तब बारिश कहती है।मटके तू ऐसा क्यों बोल रहा है। मैंने तुम दोनों मटको पर बराबर बारिश की है। लेकिन तू अपना मुह तो देख। तेरा मुह नीचे की ओर है।
भक्तों वो मटका उल्टा रखा हुआ था। गलती खुद की है लेकिन दोष दुसरो पर ।
ठीक इसी तरह भगवान भी हम पर कृपा करते है लेकिन गलती हमारी ही होती है। हमारी ही झोली छोटी पड़ जाये तो भगवान को दोषी क्यों
ठहराए। जिस तरह से सूर्य देव सब पर बराबर धुप डालते है। अब हम खुद ही मुख मोड़ के बैठ जाये तो हमारी गलती है
ना की सुर्ये देवता की। भगवान की कृपा संत जन समझ पाते है। वो प्रत्येक कर्म में भगवान की कृपा का अनुभव करते है। चाहे कुछ अच्छा हो या बुरा।
जय जय श्रीराधे …
God always showers his blessings on us but sometimes we are not able to feel his grace. understand through a beautiful story
Once upon a time it was raining very heavily. Two pots were kept outside.
Both were getting wet in the rain. After a while when the rain stopped, one pot was filled and the other was left empty.
The pot that was left empty says to Varsha, Oh rain, you do partiality (discrimination).
You filled it but did not fill me. Then the rain says. Why are you saying such a pot? I have rained equally on both of you matko. But look at your face. Your face is down.
Devotees, that pot was kept upside down. The fault is your own but the fault is on others.
In the same way, God also blesses us but it is our fault. If our bag becomes small, then why blame God?
Place it The way the Sun God puts equal incense on everyone. Now if we sit on our own face, then it is our fault.
Not the sun god. Saints can understand the grace of God. He feels the grace of God in every action. Be it good or bad.
Jai Jai Shri Radhe.