हम पुरा जीवन किसी न किसी को पकड़ कर रखते और सोचते हैं अमुक सम्बन्ध अमुक रिस्तेदार हमें बहुत सुख देगा।हमारे अन्दर यह भावना जीवन भर बनी रहती है हम अन्य में अपना जीवन ढुंढते हैं हमे लगता है कोई अपना नहीं है
स्वयं के बनाए नियमों पर चलने वाला व्यक्ति एक दिन अपनी मंजिल तक अवश्य पहुंच जाता है। जो लोग अपने लिए नियम नहीं बनाते, उन्हें फिर दूसरों के बनाये हुए नियमों पर चलना पड़ता है। मंजिल तक पहुँचने के लिए रास्ता मिल जाना ही पर्याप्त नहीं है अपितु एक अनुशासन, समर्पण, प्रतिबद्धता और एक बहुत बड़े जूनून की भी आवश्यकता होती है।
जीवन में छोटे-छोटे नियम आपको बड़ी-बड़ी परेशानियों से बचा लेते हैं। बड़ी परेशानियों की वजह सिर्फ इतनी सी होती है छोटे नियमों का पालन ना करना।
कोई दूसरा आप पर आकर राज करे इससे अच्छा है, आप स्वयं ही अपने पर राज करो। अपने जीवन के लिए कुछ नियम जरूर बनाना और उनका पालन भी करना। नियम से ही चरम का मार्ग प्रशस्त होता है। क्या आप अपने बन गए आप स्वयं अपने बन जाते हैं तब हमें अन्य भी अपना लगने लगेगा। आप अपने नहीं बनते हैं तब ऐसा लगता है। कोई हाथ नहीं पकड़ता हर जगह ठोकर ही ठोकर मिलती है। क्योंकि हम जो हाथ पकड़ते है वह तो स्वयं ही दुसरे का सहारा ढुंढता है वह हाथ इतना सक्षम नहीं कि आपका सहारा बन जाय।वह आपका पुरक हो सकता है। उसमें आपका जीवन नहीं है। आपके जीवन की सुख शांति प्रेम भाव भावना आपके अन्तर्मन मे है। आपको अपने जीवन को सुखमय आनंदित बनाने के लिए अपने अन्तर्मन की सैर करनी होगी। अन्तर्मन की सैर भगवान नाम भगवान के भाव में छिपी हुई है। भगवान को नमन वन्दन चिन्तन करते हुए विचार की शुद्धता बनने लगती है। विचार की शुद्धता में प्रभु प्राण नाथ का प्रेम है।प्रभु प्राण नाथ के प्रेम में प्राणी की सब इच्छाए शान्त हो जाती है। यदि आप जीवन को सहजता से जीना चाहते हो तब आप देने की प्रवृत्ति को अपनाना होगा। आज का समय ऐसा आया है सभी लेना तो चाहते हैं देना कोई नहीं चाहता है।भगवान को भजते हुए हमारे अन्दर देने की प्रवृत्ति जाग्रत होती है। क्योंकि हमने अपने आप को अपने अन्तर्मन को टटोलना छोड़ दिया है। यह जगत न किसी का हुआ है और न ही किसी का होगा। अ प्राणी तुने अपने अन्तर्मन मे झांकना छोड़ दिया है। तु अपनी मेहनत लगन और कर्तव्य पर दृष्टि डाल कर देख। सुख की कोई परिभाषा नहीं है। ।जीवन को शान्त जिने के लिए हमे जीवन मुल्य का आंकलन करना है। जो अन्य के विचार की कद्र करता है अन्य भी तुम्हारी कद्र करेंगे। लेकिन अन्य को अपने जीवन की बागडोर न दे। अन्य मुझे बहुत सुख देगा क्या तुम अन्य को सब सुख प्रदान करते हो नहीं फिर अन्य आपके जीवन को सुखमय कैसे बनाएंगा। अन्दर झांक कर देख तुझे परमात्मा सबकुछ देता है भगवान का नाम सिमरण कर। तुने अपने दिल में बैठें भगवान को भजना छोड़ दिया है जीवन की संध्या आ जाती है। लेकिन हम अपने आप पर भगवान पर भरोसा और विश्वास नहीं करते हैं।
और और के फेर में जीवन दियो गवाय। पाछे पछताय होत क्या। जय श्री राम अनीता गर्ग
We hold on to something or the other throughout our lives and think that such a relationship or a relative will give us a lot of pleasure. A person who follows the rules made by himself definitely reaches his destination one day. Those who do not make rules for themselves, then they have to follow the rules made by others. Finding a way to reach the destination is not enough but also requires a discipline, dedication, commitment and a great passion.
Small rules in life save you from big troubles. The only reason for big problems is not following small rules.
It is better if someone else comes and rules over you, you rule yourself. Make some rules for your life and follow them. The way to the extreme is paved with the rule. Have you become your own, you become your own, then we will start feeling others as our own. You don’t become your own then it seems. No one holds hands and stumbles everywhere. Because the hand that we hold, it itself seeks the support of others, that hand is not capable enough to become your support. It can be your complement. Your life is not there. The happiness, peace, love, feeling of your life is in your inner being. You have to visit your inner self to make your life happy and blissful. The inner journey is hidden in the spirit of the Lord, the name of God. While contemplating the salutations to God, the purity of thought begins to form. In the purity of thought lies the love of Prabhu Pran Nath. In the love of Prabhu Pran Nath all the desires of the creature are pacified. If you want to live life effortlessly, then you have to adopt the attitude of giving. Today’s time has come such that everyone wants to take, no one wants to give. While worshiping God, the tendency of giving awakens in us. Because we have stopped groping ourselves in our conscience. This world did not belong to anyone and will not belong to anyone. A creature, you have stopped looking into your inner being. Look at your hard work, dedication and duty. There is no definition of happiness. To live life peacefully, we have to assess the value of life. One who respects the thoughts of others, others will also appreciate you. But don’t give the reins of your life to others. Others will give me a lot of happiness, do you give all the happiness to others, otherwise how will others make your life happy? Looking inside and seeing, God gives you everything by remembering the name of God. You have stopped worshiping God sitting in your heart, the evening of life comes. But we do not trust and believe in God on our own. And life was lost in the name of others. What would you regret? Jai Shri Ram Anita Garg