जब प्रीति होगी तब हर क्षण भगवान के भाव मे रहेंगे। कुछ भी कार्य करते हुए भगवान भाव में लीन आनंद में प्रेम मे, एक भगवत प्रेमी का प्रेम व्यक्ति विशेष तक न होकर जङ चेतन सबसे होता है। ये मेरे परम सत्य स्वरूप परमात्मा के लिए सब कुछ हो रहा है। यंहा सम्बंध सम्बन्धी और सम्बन्धित परम पिता परमात्मा है ।वो आएंगे मै उन्हें दिल की आंखों से निहारूगी। उनका रूप दिल चीर जाता है भगवान साक्षात् प्रकट होंगे तब क्या होगा। रोम रोम में परम सत्य स्वरूप परमात्मा परमात्मा का निवास है। मुझमें तंरग उन्ही की है। दिल एक है वो प्रभु प्राण नाथ का बन गया है।
ऐसी कृपा करो कि प्रभु – नाम की भूख नित्यप्रति बढ़ती ही जाए ; प्रभु- दर्शन की प्यास दिन- प्रतिदिन बढ़ती जाए और यह भूख और प्यास जीवन की जरूरत बन जाये जय श्री राम अनीता गर्ग
प्रभु संकीर्तन 4
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