सच्चे सन्त
बादशाह दाराशिकोहके यहाँ एक सज्जन व्यक्ति मुंशी बनवारीदास लिखा-पढ़ीका काम करते थे। एक बार उनपर आर्थिक संकट आ गया। वे एक प्रार्थना-पत्र लिखकर बादशाहके सामने जा खड़े हुए। बादशाहने उनपर ध्यान नहीं दिया। तब उनके मनमें आया कि मैं यदि इतनी देर ईश्वरकी आराधना करता, तो सब संकट दूर हो जाते। वे सब कुछ छोड़कर विरक्त संन्यासी बन गये। वे मेवाड़ चले गये और एक पहाड़पर रहकर भजन करने लगे। एक दिन बादशाह उधरसे गुजरा। सन्तका नाम सुनकर वह उनके दर्शनके लिये गया तो उसने देखा कि सन्त बड़ी ही शान्तिके साथ पैर फैलाये बैठे थे।
बादशाहने उन्हें प्रणाम करते हुए पूछा-‘पैर फैलाना कबसे सीखा ?’ सन्त बोले-‘जबसे हाथ सिकोड़ा। के फिर बोले-‘हम प्रार्थना-पत्र लेकर तुम्हारे सामने दो घंटे खड़े रहे, पर तुमने मेरी और देखातक नहीं। आज, तुम मेरे सामने खड़े हो। हमें तुम्हारी परवाह नहीं है। बादशाह प्रसन्न होकर बोला-आप (बली) सच्चे सन्त हैं। उन्होंने उपदेश दिया
डर डारि दिजै उठि राह लिजै, जिस राह में साहब पाइये जू। दुख ते सुख ते नित न्यारे रही, हँसिये अरु खेलिये गाइये जू॥ घर बाहर भीतर हेत तजी, अब चेतन सौं चित लाइव जू। मरि के जहाँ जाना अहे जु’वली’, तहाँ जीवत क्यों नहीं जाइये जू।।
true saints
A gentleman Munshi Banwaridas used to do written and educated work at King Darashikoh’s place. Once there was a financial crisis on him. They stood in front of the king after writing a prayer letter. The king did not pay attention to them. Then it came to his mind that if I had worshiped God for so long, all the troubles would have gone away. He left everything and became a disinterested monk. He went to Mewar and started doing hymns while staying on a mountain. One day the king passed by there. Hearing the name of the saint, when he went to see him, he saw that the saint was sitting with his legs spread very peacefully.
While saluting him, the king asked – ‘When did you learn to spread your legs?’ The saint said – ‘Ever since the time he shrunk his hand. Then said – ‘ We stood in front of you for two hours with the prayer letter, but you did not even look at me. Today, you are standing before me. We don’t care about you. The king was pleased and said – You (Bali) are a true saint. he preached
Don’t be afraid, get up and take the path, the path in which you find yourself. From sorrow to happiness, you are always beautiful, laugh and play, you sing. Ghar bahar bahar bharte hote taji, ab Chetan saun chit live joo. Oh Ju’wali’, where the dead go, why don’t you go there alive.