एक राजा एक बार यज्ञ करने जा रहे थे। यज्ञमें बलि देनेके लिये एक बकरा उन्होंने मँगवाया। बकरा
पकड़कर लाया गया तो वह चिल्ला रहा था। यह देखकर
राजाने अपनी सभा एक विद्वान् पूछा- यह करा क्या कहता है?” पण्डित- यह आपसे कुछ प्रार्थना कर रहा है। राजा’कैसी प्रार्थना ‘ पण्डित-यह कहता है कि स्वर्गक उत्तम भोगोंकी मुझे तृष्णा नहीं है। स्वर्गका उत्तम भोग दिलानेके लियमैंने आपसे कोई प्रार्थना भी नहीं की। मैं तो घास चरकर ही संतुष्ट हूँ। इसलिये मुझे बलि देनेके लिये आपने पकड़ मँगाया, यह उचित नहीं किया। यदि यज्ञमें बलि देनेसे प्राणी स्वर्ग जाता है तो आप अपने माता, पिता, पुत्र तथा कुटुम्बियोंकी बलि देकर यज्ञ क्यों नहीं करते?’
पण्डितकी बात सुनकर राजाको प्रतीत हो गया कि पशु बलि अनुचित है। उन्होंने बकरेको छोड़ दिया ।
– सु0 सिं0े
Once a king was going to perform a yagya. He asked for a goat to be sacrificed in the Yagya. Goat
He was crying when he was brought. seeing this
The king asked a scholar in his assembly – What does this Kara say?” Pundit – He is praying something to you. King ‘What kind of prayer’? Pundit – It says that I do not crave for the best enjoyments of heaven. To get the best enjoyments of heaven, I have asked you I didn’t even pray. I am satisfied by grazing grass. That’s why you asked me to be caught to sacrifice, it was not right. If a living being goes to heaven by sacrificing in a yagya, then why don’t you perform a yagya by sacrificing your mother, father, son and family members? do?’
After listening to the pundit, the king felt that animal sacrifice is inappropriate. He left the goat.
– Su 0 Sin 0