संसारमें हमसे भी दुखी प्राणी हैं
खरगोश बड़े दुर्बल और डरपोक प्राणी होते हैं। बलवान् जानवर उन्हें देखते ही मारकर खा जाते हैं। इस अत्याचारके कारण उन्हें सर्वदा अपने प्राणोंके लिये शंकित रहना पड़ता था। इसी कारण उन लोगोंने आपसमें सलाह करके यह निश्चित किया कि सर्वदा भयभीत रहकर जीवित रहनेकी अपेक्षा प्राणत्याग करना ही श्रेयस्कर है। इसलिये चाहे जैसे भी हो, हमलोग आज ही प्राणत्याग कर देंगे।
ऐसी प्रतिज्ञा करनेके बाद निकटके तालाब में कूदकर प्राण देनेकी इच्छासे सभी खरगोश वहाँ जा पहुँचे। उस तालाबके किनारे कुछ मेढक भी बैठे हुए थे। खरगोशोंके निकट पहुँचते ही वे लोग भयसे अत्यन्त व्याकुल होकर पानीमें कूद पड़े।
इसे देखकर खरगोशोंका नेता अपने सहचरोंसे स्वयंको इतना असहाय समझना उचित नहीं है। आपलोगोंने यहाँ आकर देखा कि ‘कुछ प्राणी ऐसे भी हैं, जो हमसे भी अधिक दुर्बल तथा डरपोक हैं’-ऐसा सोचकर उन्होंने प्राणत्यागका विचार छोड़ दिया
मनुष्यको अपनी दुरवस्थाके समय निराश नहीं होना चाहिये। हम चाहे जितनी भी कठिनाईमें क्यों न हों, ऐसे अनेक लोग मिल जायँगे, जिनकी अवस्था हमसे भी खराब होगी। बल्कि उनके प्रति संवेदनाका भाव रखनेसे अपने कष्टों तथा कठिनाइयोंकी बात भी विस्मृत हो जाती है।
There are sadder creatures in the world than us
Rabbits are very weak and timid animals. Strong animals kill and eat them as soon as they see them. Due to this atrocity, he always had to remain in doubt for his life. That’s why they consulted among themselves and decided that it is better to die than to live in constant fear. That’s why, come what may, we will sacrifice our lives today itself.
After making such a promise, all the rabbits reached there with the desire to die by jumping into the nearby pond. Some frogs were also sitting on the bank of that pond. As soon as they reached near the rabbits, they jumped into the water being extremely distraught with fear.
Seeing this, it is not proper for the leader of the rabbits to consider himself so helpless in front of his companions. You people came here and saw that ‘there are some creatures, who are more weak and fearful than us’ – thinking like this, they left the idea of sacrificing their lives.
Man should not be disappointed at the time of his plight. No matter how much difficulty we are in, many such people will be found, whose condition is worse than ours. Rather, by having a sense of sympathy towards them, even the matter of one’s sufferings and difficulties is forgotten.