कर्तव्यनिष्ठा

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ईरान के शाह अब्बासको उनके एक पदाधिकारीने अपने यहाँ निमन्त्रण दिया था। निमन्त्रणमें पहुँचकर शाह तथा उनके परिकरोंने इतना मद्यपान किया कि वे उन्मत्त हो उठे। नशेमें ही शाह उठे और झूमते हुए उस पदाधिकारीके अन्तःपुरके द्वारपर पहुँच गये। परंतु उस अधिकारीका द्वारपाल इस प्रकार मार्ग रोककर खड़ा थाकि उसे धक्का देकर हटाये बिना भीतर जाना सम्भव नहीं था। शाहने तलवार खींच ली और उसे डाँटा ‘हट सामनेसे! नहीं तो, अभी तेरा सिर उड़ाये देता हूँ । ‘

द्वारपालने हाथ जोड़कर नम्रतापूर्वक कहा -‘मैं अपना कर्तव्य पालन कर रहा हूँ। आप मेरे देशके स्वामी हैं, आपपर मैं हाथ नहीं उठा सकता; किंतु जबतक मैंजीवित हूँ, आप भीतर नहीं जा सकते। मेरा वध करके आप मेरी लाशपर पैर रखकर भीतर जा सकते हैं। लेकिन श्रीमान् ! मैं अपने स्वामीकी मर्यादाकी रक्षाके साथ आपकी भी रक्षाके लिये खड़ा हूँ । आप मुझे मारकर भीतर चले गये तो मेरे स्वामीकी बेगमें हथियार उठा लेंगी। एक पर-पुरुष उनका अनादर करे तो वे यह नहीं देखेंगी कि वह शाह खुद हैं या और कोई।’ शाह अब्बासका नशा अपने प्राण- भयकी बातसुनते ही ठंढा पड़ गया। वे लौट गये। दूसरे दिन दरबारमें उस पदाधिकारीने प्रार्थना की- ‘मेरे द्वारपालने जो बेअदबी की, उसे माफ करें। मैंने उसे आजसे अपने यहाँसे निकाल दिया है।’

शाह प्रसन्न होकर बोले-‘चलो अच्छा हुआ, अब मुझे तुमसे उस कर्तव्यनिष्ठ सेवकको माँगना नहीं पड़ेगा। मैं उसे अपने अङ्गरक्षक सैनिकोंका सरदार बना रहा हूँ । उसे बुलाओ । ‘ – सु0 सिं0

Shah Abbas of Iran was invited to his place by one of his officials. Arriving at the invitation, Shah and his relatives drank so much that they became insane. The drunken Shah got up and reached the door of that officer’s heart, swinging. But the gatekeeper of that officer was standing blocking the way in such a way that it was not possible to go inside without pushing him away. Shah drew the sword and scolded him ‘Get out of front! Otherwise, I will blow your head off now. ,
The gatekeeper said humbly with folded hands – ‘I am doing my duty. You are the master of my country, I cannot raise my hands on you; But you can’t go inside as long as I’m alive. After killing me, you can step on my dead body and go inside. But sir! Along with protecting the dignity of my master, I am standing for your protection as well. If you kill me and go inside, my master’s wife will take up arms. If a stranger disrespects her, she will not see whether it is the Shah himself or someone else.’ Shah Abbas’s intoxication got cold as soon as he heard about the fear of his life. They returned. The second day in the court, that officer prayed – ‘Forgive the disrespect that my gatekeeper did. I have thrown him out of my house from today.’
Shah was pleased and said – ‘Well done, now I will not have to ask you for that dutiful servant. I am making him the leader of my bodyguard soldiers. call her . ‘ – Su0 Singh

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