इसी कुर्सीपर आकर बैठूंगा !
‘अबे लड़के, उठ। आकर बैठ गया इंजीनियर साहबकी कुर्सीपर। ‘ – एक लड़केको उठाते हुए एक चपरासीने कहा।
लड़केको बड़ी चोट लगी। शारीरिक नहीं मानसिक।
हाईस्कूल पास करके वह गया था इंजीनियर साहबके दफ्तर में काम करनेवाले अपने गाँवके एक आदमीसे मिलने ।
वे जब मिलने आये तो पूछा- ‘बेटा! कैसे आये ?’
लड़का बोला-‘आया तो था किसी छोटी-मोटी नौकरीकी तलाशमें, पर अब मेरा इरादा बदल गया।’
‘क्या ?”
‘यही कि आज मैं जिस कुर्सीपरसे अपमानित करके उठा दिया गया हूँ, उसी कुर्सीपर आकर बैठूंगा।’ और सचमुच एक दिन वह उसी कुर्सीपर आकर बैठा। अपने साहसकी बदौलत। अपनी मेहनतकी बदौलत ।
मजा यह कि जिन इंजीनियर साहबकी वह कुर्सी थी. उन्होंको उसके नीचे काम करना पड़ा।
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इस लड़केका नाम था गंगाराम। पंजाबका यह गंगाराम सारे देशमें मशहूर हुआ। उसने खूब कष्ट उठाकर इंजीनियरी पास की। अपने हुनरमें अच्छी-से अच्छी योग्यता प्राप्त की। उसकी बनायी सरकारी इमारतों, पुलों आदिपर पंजाबको नाज है।
उसने खूब नाम कमाया। खूब रुपया कमाया। उसे ‘सर’ की उपाधि मिली।
इतना ही नहीं, पैसेका उसने खूब अच्छा उपयोग भी किया। विधवाओं, गरीबों, अनाथोंके आँसू पोंछे ।
उनके लिये उसने जगह-जगह सहायताके केन्द्र खोले।
इसका नाम है साहस। इसका नाम है लगन । इसका नाम है मेहनत। आओ, हम बनें ऐसे ही साहसी – और मेहनती।
I will come and sit on this chair!
‘Hey boy, get up. He came and sat on the engineer’s chair. ‘ – said a peon lifting a boy.
The boy got hurt a lot. Mental not physical.
After passing high school, he had gone to meet a man from his village who was working in the engineer’s office.
When he came to meet, he asked – ‘Son! How did you come?
The boy said – ‘I had come in search of some small job, but now my mind has changed.’
‘what ?”
‘This is that today I will come and sit on the same chair from which I was insulted and lifted.’ And really one day he came and sat on the same chair. Thanks to your courage. Because of your hard work.
The funny thing is that the engineer who had that chair. They had to work under him.
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The name of this boy was Gangaram. This Gangaram of Punjab became famous all over the country. He passed engineering after suffering a lot. Received the best qualification in your skill. Punjab is proud of the government buildings, bridges etc built by him.
He earned a lot of fame. Earned a lot of money. He got the title of ‘Sir’.
Not only this, he also used the money very well. Wiped the tears of widows, poor and orphans.
He opened centers of help for them at different places.
Its name is courage. Its name is passion. Its name is hard work. Come, let us be so courageous – and hardworking.