नगरका नाम और ठीक समय स्मरण नहीं है। वर्षा ऋतु बीती जा रही थी; किंतु वर्षा नहीं हुई थी। किसानों के खेत सूखे पड़े थे। चारेके अभावमें पशु मरणासन्न हो रहेथे। जब कोई मानव-प्रयत्न सफल नहीं होता, तब मनुष्य उस त्रिभुवनके स्वामीकी ओर देखता है। गाँवके सब लोग गिरजाघरमें एकत्र हुए वर्षाके लिये प्रार्थना करने।एक छोटा बालक भी आया था; किंतु वह आया था अपना छोटा-सा छत्ता लेकर। किसीने उससे पूछा ‘तुझे क्या इतनी धूप लगती है कि छत्ता लाया है ?’
बालक बोला- ‘वर्षा होगी तो घर भीगते जाना पड़ेगा, इससे मैं छत्ता लाया हूँ कि भीगना न पड़े।’ प्रार्थना की जायगी और वर्षा नहीं होगी, यह संदेह ही उस शुद्धचित्त बालकके मनमें नहीं उठा। जहाँइतना सरल विश्वास है, वहाँ प्रार्थनाके पूर्ण होनेमें संदेह कहाँ। प्रार्थना पूर्ण होते-होते तो आकाश बादलोंसे ढक चुका था और झड़ी प्रारम्भ हो गयी थी। बालक अपना छत्ता लगाये प्रसन्नतापूर्वक घर गया। यह वर्षा इतनी भीड़के प्रार्थना करनेसे होती या नहीं, कौन कह सकता है; किंतु वह हुई, क्योंकि प्रार्थना करनेवालोंमें वह सच्चा श्रद्धालु बालक भी था ।
Can’t remember the name of the city and the exact time. The rainy season was passing; But it didn’t rain. The fields of the farmers were lying dry. The animals were dying due to lack of fodder. When no human effort is successful, then man looks to the Lord of the Tribhuvana. Everyone in the village gathered in the church to pray for rain. A little boy also came; But he had come with his own little hive. Someone asked him, ‘Do you feel so hot that you have brought a hive?’
The child said – ‘If it rains, we will have to go home getting wet, so I have brought a hive so that we don’t get wet.’ That pure-hearted child did not even doubt that prayer would be offered and it would not rain. Where there is such a simple faith, there is no doubt in the fulfillment of prayer. By the time the prayer was over, the sky was covered with clouds and it started raining. The boy set up his hive and went home happily. Who can say whether this rain was due to the prayers of such a large crowd or not; But it happened because he was also a truly devout child among those praying.