सद्भावना

fantasy light mood

वायिन्सको पोलैंडका बहुत बड़ा देशभक्त था अपने आत्मचिन्तन और दार्शनिक विचारोंके लिये भी वह बहुत प्रसिद्ध था। लोग उसका बड़ा सम्मान करते थे।

एक दिन बड़ी भयानक जलवृष्टि हो रही थी। ट्वायिन्सकी अपने घरसे बाहर गया हुआ था। रास्ते में उसकी एक मित्रसे भेंट हुई जो उसे देखकर आश्चर्यचकित हो गया। बात यह थी कि ट्वायिन्सकी एक कुत्तेको बड़े प्यारसे थपथपा रहा था और कुत्ता कीचड़से लथपथ होकर उसके शरीरकी ओर उछल-उछलकर कपड़ोंको गंदा कर रहा था। ट्वायिन्सकी बहुत प्रसन्न दीखता था।

‘भाई! आपका कुत्तेके प्रति यह बर्ताव मुझे अत्यन्त आश्चर्यचकित कर रहा है। यह आपके कीमती कपड़ोंको कीचड़से गंदा कर रहा है और इसको हटाने के बदले आप प्यार दे रहे हैं।’ मित्रके इन शब्दोंको सुनकरट्वायिन्सकी हँस पड़ा।

‘कुत्ता मुझे पहले-पहल मिला है, मेरे प्रति उसने बड़ी आत्मीयता प्रकट की है; मेरे सामने उछल कूदकर तथा मेरे पैरोंसे लिपट लिपटकर वह मुझे मित्र समझ रहा है। इसकी भावनाएँ सराहनीय हैं। यदि मैं कीमती कपड़ोंके मोहसे इसे हटा दूँ तो इसकी आत्मीयताको कितना बड़ा धक्का लगेगा और बेचारेका प्रेमोत्साह समाप्त हो जायगा।’ ट्वायिन्सकीने अपने मित्रका समाधान किया।

‘कीमती कपड़ोंका इसके प्यारके सामने कोई मूल्य ही नहीं है। प्रत्येक प्राणीमें भगवान्‌का निवास है; उसके साथ आत्मवत् बर्ताव करना ही श्रेयस्कर है; इस शुभ कार्य और सद्भावनासे भगवान् प्रसन्न होते हैं। वास्तवमें यही भागवत जीवन है।’ ट्वायिन्सकीने कुत्तेको प्रेमसे देखा और मित्रसे विदा ली। – रा0 श्री0

Voinsko was a great patriot of Poland, he was also very famous for his introspection and philosophical thoughts. People used to respect him a lot.
One day it was raining heavily. Twynsky had gone out of his house. On the way he met a friend who was surprised to see him. The thing was that Twainsky was petting a dog very lovingly, and the dog, being covered in mud, was jumping towards his body and dirtying the clothes. Twynsky looked very happy.
‘Brother! This behavior of yours towards the dog is surprising me a lot. It is dirtying your precious clothes with mud and instead of removing it you are giving love.’ Twainsky laughed after hearing these words of his friend.
‘The dog is the first to meet me, it has shown great affinity towards me; Jumping in front of me and hugging my feet, he is considering me as a friend. Its sentiments are commendable. If I remove it from the temptation of expensive clothes, then its intimacy will be shocked and the poor’s love will end.’ Twainsky solved his friend.
‘Precious clothes have no value in front of his love. God resides in every living being; It is better to deal with him in a selfish manner; God is pleased with this auspicious work and goodwill. In fact this is divine life.’ Twynsky looked at the dog lovingly and bade farewell to his friend. – Ra0 Mr.0

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