एक बार बस एक बार, आनन्द-सुधा बरसा दो श्याम ।
आज चलो फिर यमुना-तटपर, मुरली मधुर बजा दो श्याम ।।
की सुभग ज्योतिमें, ललित कला सरसा दो श्याम ।। आज चलो॰ ।।
सूर्य-सुतापर स्वर-लहरीसे, तरल तरंग उठा दो श्याम ।
कण-कण, वन, उपवन नूतन, जीवन-धार बहा दो श्याम ।। आज चलो॰ ।।
डाल-डाल और पात-पातमें, प्रेम-प्रसून खिला दो श्याम ।
कुञ्ज-कुञ्जमें, पुञ्ज-पुञ्जमें, प्रणय-प्रेम फैला दो श्याम ।। आज चलो॰ ।।
जीवित मृतक मदान्ध मनोंमें, जीवन-ज्योति जगा दो श्याम ।
‘बेकल’ विकल व्यथित हृदयमें, शान्ति-सुधा बरसा दो श्याम ।। आज चलो॰ ।।
“मुरली मधुर बजा दो श्याम”
Once just once, please shower Anand-Sudha Shyam. Today let’s go again on the banks of Yamuna, play the murli melodiously, Shyam. In the bright light of, fine art sarsa do shyam.. Let’s go today. With the tone and wave on the sun-suta, lift the liquid wave, Shyam. Particle-particle, forest, garden, new, let the stream of life flow, Shyam. Let’s go today. In the branches and the leaves, feed love-prasun, Shyam. In Kunj-Kunj, Punj-Punj, spread love-love Shyam. Let’s go today. Awaken the light of life, Shyam, in the minds of the living dead. ‘Bekal’ vikal in the distressed heart, let Shyam shower peace-sudha. Let’s go today.