तत्तेनुकम्पाम् सुसमीक्षमाणो…
(श्रीमद्भागवत)
दुःख बहुत है मेरे जीवन में क्या करूँ ?
एक दुःख जाता है… जैसे-तैसे… फिर दूसरा दुःख मुँह बाये खड़ा हो जाता है… आप समाधान करें ।
क्या जीवन ऐसे ही दुःख में बीत जाएगा… ।
आप समझाते हैं… अन्य सन्तों की वाणी में भी हम सुनते रहते हैं कि दुःखी मत रहिये… पर मन नही मानता… क्या करें ?
दुःखी न हों… हमारे जीवन में कभी दुःख न आये ऐसा हो सकता है क्या ?
मैं महाराज जी ! बहुत दुःखी हूँ… कुछ बताइये ।
एक बच्ची है… परीक्षा में अच्छे अंक नही आये तो दुःखी हो गयी… मुझ से बोली… आप कुछ बताएं कि मैं क्या करूँ… बहुत तनाव में हूँ ।
ऐसे कई प्रश्न हैं… जो मेरे साधक ने किये हैं…
मेरे मैसेज बॉक्स में ऐसे प्रश्नों की भरमार हो गयी थी… तो मैंने आज सोचा कि इस पर ही कुछ लिखूं ।
एक बच्ची ने तो यहाँ तक लिखा है… कि मेरे अच्छे अंक नही आये तो मैंने तो सोच लिया था कि मैं आत्महत्या तक कर लूँ… अब आप ही मेरा समाधान कीजिये… कि ये दुःख क्या कभी जाएंगे ही नही ?
साधकों ! मैं कल अयोध्या जी से चलकर रात्रि तक श्रीधाम वृन्दावन में पहुँच गया था ।
सोचा था “पवनपुत्र की आत्मकथा” को ही आगे बढ़ाऊँ…
पर जब मैंने देखा… दुःखों से भरे मैसेजों की भरमार है… तो मुझे लगा कि इसी का कुछ समाधान निकाला जाए… और मुझे जो लगा… वो मैं लिख रहा हूँ… ।
ये बात किसी किताब की नही लिख रहा मैं… मेरा अनुभव है ।
मैं उन माता जी को जानता हूँ… जिनके पति मर गए… एक पुत्र था वो भी एक्सीडेंट में मर गया…
अब घर लोन में लिया था… कैसे चुकता हो…
तो घर खाली करना पड़ा… अब कहाँ जाए वो ।
एक बेटी थी… उसी के यहाँ गयीं वे… और वही रह रही हैं… शुगर है उन्हें… B. P. की मरीज हैं…
मैंने उन्हें कहा था… ये भी कृपा है…
उन्होंने कहा था – कृपा है…?
जी ! हाँ अत्यंत कठोर कृपा है… पर कृपा है ।
ये क्या कह रहे हैं आप ?… उनके साथ में एक उनकी सहेली थीं उन्होंने कहा ।
देखिये बस इतनी-सी बात समझ लीजिये… आप हम ईश्वर को अपने मन मुताबिक चलाना चाहते हैं… है ना ?
और याद रखिये ईश्वर को जो अपने मन मुताबिक चलाना चाहे… वो दुःखी ही होगा… ये पक्की बात है ।
उसकी हर क्रिया में राजी होना जब हम सीखेंगे तब हम सुखी होंगें… इतनी-सी बात समझ लो ।
ईश्वर सारे संसार की अनुकूलता देखकर काम करता है… एक के मन की वासना के लिये काम नही करता ।
एक ने कहा… हे भगवन् ! आज वर्षा न हो…
वाह जी ! सलाहकार हो तुम ईश्वर के…? तुम्हारी सलाह पर चलेगा वह… उनको समझ नही है… तुम समझ दे रहे हो…
इस तरह चलने वाले जीवन भर दुःखी रहते हैं…
जो ये सोचता है… सब मेरे मन मुताबिक हो… सब मेरे मन मुताबिक चलें…।
जब हम चाहे तब छींक आये… हम जब चाहे तब नींद आये… जब तक हम चाहे तब तक बाल सफेद न हो… जब तक हम न चाहे तब तक हम बूढ़े न हों… इस तरह से जो चलता है… वो दुःखी होता ही है… ।
मैं हँसा था उन माता जी के सामने… उनकी सहेली ने कहा था… आप हँस रहे हैं… इनको इतना कष्ट है !
तब जिनको दुःख था… पति मर गए… बेटा मर गया… घर बिक गया… उन्होंने कहा… आप पहले ऐसे व्यक्ति हैं… जो मेरी बात पर हँस रहे हैं… बाकी आज तक सब मेरे साथ ही दुःखी होते थे… और मेरे दुःख को और दुगुना कर देते थे ।
मैंने कहा… आपके साथ दुःखी मैं भी हो सकता हूँ… पर उससे लाभ ?… मैं आपके साथ आपके दुःख में अभी दहाड़ मारकर रो सकता हूँ… पर उससे लाभ ?…
मैं हँसा हूँ… तो इसका मतलब… मैंने सहजता में लिया है इन बातों को… आपको भी अगर जीवन जीना है… तो सहजता में लीजिये… ।
पर क्या ये सम्भव है ?… उन्होंने मेरी ओर देखा ।
पर जीवन तो आपको जीना है ना ?… कि नही ?
देखिये ईश्वर के साथ मैंने मीटिंग की है… मैंने हँसते हुए कहा… उसने मुझ से साफ-साफ कह दिया है… कि मैं तुम्हारे मन के अनुसार नही चलने वाला ।
अब मेरी बात सुनकर वो थोड़ी सहज हुयीं…
देखिये हम दुःखी तब होते हैं… जब हम सोचते हैं… सब कुछ हमारे मन अनुसार हो… बाबा लोग चेले बनाते हैं… और फिर चाहते हैं… कि हमारे मन अनुसार मेरे चेले चलें… और जब नही चलते तब वो बाबा लोग दुःखी हो जाते हैं… मैं हँसा ।
पर चेले का भी तो मन है… वो अपने गुरु को अपने मन अनुसार चलाना चाहता है… गुरु नही चलता… तो वो दुःखी ।
शादी की अब दुःखी हो गए पतिदेव… क्यों कि सोचा था उनके मन अनुसार पत्नी चलेगी… पर नही ।
अब पत्नी भी दुःखी है… क्यों कि उसका भी तो मन है… उसने भी सोचा था कि उसके मन अनुसार चले पति… पर नही ।
बेटे चलें मेरे मन अनुसार… हर माँ-बाप दुःखी… क्यों कि बेटे नही चल रहे… ।
देखिये दिक्कत कहाँ है… दिक्कत वहाँ है… जहाँ हम ये सोच रहे हैं कि हमारे मन के मुताबिक़ सब होना चाहिए… ।
किसी को भी कठपुतली समझना… कि ये हमारे अनुसार नाचे… ये गलत है… भाई ! सबका मन है ।
संसार में दुःखी कौन है ?… इस पर मैंने बहुत सोचा… विचार किया है… तब मैं इस निष्कर्ष में पहुँचा हूँ… कि जो अपने मन अनुसार दूसरों को चलाना चाहते हैं… वह दुःखी ही रहते हैं ।
मैंने उन माता जी से कहा… आपके साथ जो हुआ… एक सम्वेदनशील होने के नाते… मुझे दुःख है… पर ईश्वर के विधान को हम क्या समझें ! इसलिये दुःखी होने से कोई लाभ नही है… शुगर हो गया है आपको… BP की परेशानी आ गयी है आपको… हार्ट की दिक्कत और बढ़ सकती है…
क्यों न हम ईश्वर के विधान को मजबूत दिल बनाकर स्वीकार करें… और उसे कहें… तेरे इस मंगल विधान में… मेरा भी कुछ मंगल ही छुपा होगा ।
सहन करो… जो रोये उसे रोने दो… जो तुम्हें छोड़कर जाना चाहे… वो जाए तो किवाड़ और बन्द कर दो…
समाज में परिवर्तन आएगा… उसे स्वीकार करो… जो परिस्थिति बन रही है… उसे मुस्कुराते हुए सहन कर लो… सहन कर लो… जो सहन नही करेगा… वो दुःखी होगा ।
जो ईश्वर की ओर से होने वाली क्रिया को प्रसन्नता से स्वीकार नही करेगा… वह दुःखी होगा ।
प्रकृति के परिवर्तन को जो स्वीकार नही करेगा… वो दुःखी होगा ।
जो हो रहा है… उसे स्वीकार करो… ।
मैंने ऐसे साधक भी देखे हैं… मेरे पागलबाबा के एक साधक हैं… सत्संग में बैठे थे… फोन आया… आपके बेटे का एक्सिडेंट हो गया… पुलिस का फोन था…
उस साधक ने पुलिस से पूछा… जिन्दा है मेरा बेटा कि मर गया ?
पुलिस कुछ बोले नही… क्यों कि बेटा तो मर गया था… तब उन साधक ने कहा… मुझे स्पष्ट बताओ कि क्या स्थिति है… अगर बेटा जिन्दा है… तो मैं हॉस्पिटल में ले जाऊँ… उसकी व्यवस्था करूँ… और अगर मर गया है तो श्मशान में जाने की व्यवस्था बनाऊँ ।
देखो ! दुःखी होने से कोई लाभ नही है… इस बात को समझने वाला ही साधक है… और दुःखी रहने वाला संसारी है ।
इसलिये… ईश्वर की हर क्रिया में राजी रहो… प्रकृति के परिवर्तन को स्वीकार करो…जो हो रहा है… उससे लड़ो मत ।
इसके अलावा सुखी होने का कोई उपाय नही है…
“तेरे इस मंगलविधान में… मैं क्यों टाँग अढ़ाऊँ”
एक महात्मा जी यही गाते रहते थे… ।
Looking closely at that compassion. (Srimad Bhagavatam)
There is a lot of sorrow in my life, what should I do?
One sorrow goes away… somehow… then another sorrow pops up… you solve it.
Will life pass in sorrow like this….
You explain… we keep hearing in the words of other saints also that don’t be sad… but the mind does not agree… what to do?
Don’t be sad… Is it possible that there should never be sorrow in our life?
I am Maharaj ji! I am very sad… Tell me something.
There is a girl child… she became sad when she did not get good marks in the examination… she said to me… you tell me what to do… I am in a lot of tension.
There are many such questions… which my seeker has asked…
My message box was flooded with such questions… So today I thought to write something on this.
One girl has even written… that I did not get good marks, so I had thought that I would even commit suicide… Now you only solve me… Will these sorrows never go away?
Seekers! I had reached Shridham Vrindavan by night after walking from Ayodhya ji.
Thought I should take forward the “Autobiography of Pawanputra” only.
But when I saw… there are loads of messages full of sorrows… then I felt that some solution should be found for this… and I am writing what I felt….
I am not writing this about any book… it is my experience.
I know those mothers… whose husbands died… they had a son who also died in an accident…
Now the house was taken on loan… how do you repay it…
So had to vacate the house… where will he go now.
She had a daughter… she went to her place… and she is living there… she has sugar… she is a patient of B.P…
I told them… this is also a blessing…
He had said – please…?
Yes ! Yes, it is very harsh grace… but it is grace.
What are you saying?… One of her friends was with her, she said.
Look, just understand this much… You and I want to make God run according to our mind… isn’t it?
And remember, the one who wants to make God run according to his mind… he must be sad… this is a sure thing.
When we learn to be agreeable in his every action, then we will be happy… Understand this much.
God works seeing the compatibility of the whole world… He does not work for the lust of one’s mind.
One said… Oh God! May it not rain today…
Wow! You are God’s advisor…? He will follow your advice… He does not understand… You are giving understanding…
Those who walk like this remain unhappy throughout their life…
The one who thinks… everything should be according to my mind… everyone should go according to my mind….
We sneeze when we want… we sleep when we want… we don’t get gray hairs till we want… we don’t grow old till we don’t want… the one who walks like this… he is bound to be sad… .
I laughed in front of that mother… her friend said… you are laughing… she is in so much pain!
Those who were sad then… Husband died… Son died… House was sold… They said… You are the first person… Who is laughing at my words… Till date everyone used to grieve with me… And my sorrow became more Used to double it.
I said… I can also be sad with you… but what is the use of that?
I have laughed… So it means… I have taken these things lightly… If you also want to live life… then take it lightly….
But is it possible?… He looked at me.
But you have to live life, don’t you?
See, I have had a meeting with God… I said laughing… He has clearly told me… that I am not going to follow your wish.
Now she became a little comfortable after listening to me.
See we are sad then… when we think… everything should be as per our wish… Baba people make disciples… and then want… that my disciples should follow our wish… and when they don’t then those Baba people become sad … I laughed.
But the disciple also has a mind… He wants to make his Guru run according to his mind… If the Guru does not work… then he is sad.
Now the husband has become sad about the marriage… because he had thought that the wife would go according to his wish… but not.
Now the wife is also sad… because she too has a mind… she also thought that the husband should act according to her mind… but not.
Son should walk according to my mind… Every parent is sad… because sons are not walking….
See where is the problem… the problem is there… where we are thinking that everything should happen according to our wish….
To consider anyone as a puppet… that he should dance according to us… This is wrong… Brother! Everyone has a mind.
Who is sad in the world?… I have thought a lot about this… then I have come to the conclusion… that those who want to make others run according to their mind… they remain sad.
I said to that mother… what happened to you… being a sensitive… I am sorry… but how should we understand God’s law! That’s why there is no use in being sad… You have become sugar… You have got BP problem… Heart problem can increase further…
Why don’t we accept God’s law with a strong heart… and say to him… in this auspicious law of yours… some auspiciousness of mine must also be hidden.
Be patient… let the one who cries let him cry… who wants to leave you… if he goes then close the door…
Change will come in the society… accept it… the situation that is being created… bear it with a smile… bear it… the one who will not tolerate… will be sad.
The one who will not happily accept the action from God… he will be unhappy.
The one who will not accept the change of nature… will be sad.
What is happening… accept it….
I have also seen such sadhaks… I have a sadhak of Pagalbaba… I was sitting in a satsang… I got a call… Your son met with an accident… Police called…
That seeker asked the police… is my son alive or dead?
The police didn’t say anything… because the son was dead… then that seeker said… tell me clearly what is the situation… if the son is alive… then I will take him to the hospital… make arrangements for him… and if he is dead, then the crematorium Let me make arrangements to go.
See ! There is no benefit in being sad… the one who understands this is a seeker… and the one who remains sad is worldly.
That’s why… Be agreeable to God’s every action… Accept the change of nature… What is happening… Don’t fight with it.
There is no way to be happy other than this…
“Why should I hang my leg in this auspicious ceremony of yours”
A Mahatma ji used to sing this….