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अल्लाहो अकबर …अल्लाहो अकबर …..
ये क्या हो गया है बाबा ! हमारे सुन्दर “ढाका” को किसकी नज़र लग गयी है ….
बांग्ला में भागवत की कथा सुना रहे थे क्षितिशचन्द्र चक्रवर्ती अपनी बेटी गौरा को ….तभी हजारों की संख्या में मुसलमान हिन्दूओं के खिलाफ नारे बाज़ी करते हुये जा रहे हैं ।
रुक्मिणी जी ने भगवान श्रीकृष्ण को पत्र लिखा ……यही प्रसंग सुना रहे थे चक्रवर्ती महाशय …और भाव विभोर होकर गौरा सुन रही थी ….पर इन आतंककारियों के कारण कथा में विघ्न पड़ रहा था ….तो झरोखे को बन्द करने के लिये गौरा उठी …..ओह ! हिन्दू के घरों को फूँक रहे हैं ….आग लगा दिया है ….केरोसीन छिटक कर जिंदा जला रहे हैं ….कोई व्यक्तिगत दुश्मनी थोड़े ही है ….बस टाइटल ये होने चाहिये ज़िन्दा जलाने के लिये – मुखर्जी , बनर्जी , चक्रवर्ती , चट्टोपाध्याय या हिन्दू कोई भी हो ….फिर ये भीड़ उसे मार देगी ।
बेटी ! झरोखा लगा दे ….देख मत जल्दी लगा …..
बेचारे चक्रवर्ती साहब अब डरते हैं …इसी ढाका शहर में कभी इनके नाम से ही बड़े बड़े काम हो जाते थे …पर अब …….
गौरा ने झरोखा तुरन्त लगा दिया …और आगयी ….भागवत खुली है ….पर आगे पढ़ें भागवत को उससे पहले गौरा इतना ही कहती है …बाबा ! बहुत उन्मादी मुसलमान हैं …पता नही क्या होगा इस ढाका का ..पता नही क्या होगा ? चक्रवर्ती साहब को पसीने आरहे हैं अगहन के महीने में भी ।
भागवत के प्रसंग को आगे सुनाने जा ही रहे थे कि ….द्वार किसी ने खटखटाया । नही बेटी ! तू मत जा ….मैं देखता हूँ ….काँपते पैरों से चक्रवर्ती द्वार तक गये …..फिर मुड़कर अपनी बेटी की ओर देखा ….संकेत किया तू छुप जा ….वो छुप गयी ।
“साहब द्वार खोलो” ……फिर आवाज आयी और द्वार फिर खटखटाया ।
कौन ? बस इतना ही पूछा ।
मैं अब्दुल्ला …..ये नाम सुनते ही चक्रवर्ती साहब के शरीर में पसीने आगये ।
क्यों ? क्या काम है मेरे घर में ….कुछ हिम्मत जुटाकर बोल रहे थे…और तुमने मेरे घर के शीशे को तोड़ दिया था ….क्यों ? अभी द्वार नही खोला है भीतर से ही बोल रहे हैं ।
साहब ! मेरा बेटा बीमार है …आज ढाका भी बन्द है …सारे डाक्टर आज हड़ताल पर चले गये हैं …साहब ! आप ही कुछ कर सकते हैं कीजिये ना ! उस दिन भीड़ ने मुझे उकसाया…..वो अब्दुल्ला रो रहा था बाहर । बेटी ने पिता के कन्धे में अपना हाथ रखा …पिता जी ! खोलिये ।
बेटी की हिम्मत देख पिता ने द्वार खोल दिया ….द्वार खोलते ही वो अब्दुल्ला चक्रवर्ती महाशय के पैरों में गिर गया था ….हिलकियों से रोने लगा था …मेरा बेटा तड़फ रहा है बुखार से ….वो मर जायेगा साहब …..बेटी की ओर देखा चक्रवर्ती साहब ने …बेटी ने अपने मीत श्रीकृष्ण की ओर देखा ……फिर बोली …जाइये पिता जी …मैं यहाँ रह लुंगी …पर शीघ्र आइयेगा ।
दवाइयों का थैला अब्दुल्ला को दिया ….इमरजेंसी के लिए कुछ इंजेक्शन भी रख लिया ..और अब्दुल्ला के साथ चक्रवर्ती साहब चले गये ।
बेटी ! मैं जब तक नही आऊँ द्वार मत खोलना । ये कहते हुये गये थे ।
हे भुवन सुन्दर ! तुम कर्ण रंध्रों के माध्यम से मेरे हृदय में बस गये हो ….तुमसे मैंने एक सम्बन्ध जोड़ा है ….अरे ! इस जगत में कौन ऐसी नारी होगी जो तुम्हें अपना पति नही बनाना चाहेगी ….मैंने तुम्हें अपना पति बना लिया है ।
भागवत में रुक्मणी जी का पत्र पढ़ रही है गौरा …फिर अपने मीत श्रीकृष्ण की ओर देखती है ….वो मुस्कुरा रहे हैं…..ये भी मुस्कुराती है ….फिर आगे भागवत पढ़ने लगती है ।
अल्लाहो अकबर ! अल्लाहो अकबर !
फिर गूंजी ये आवाज ….वो भीड़ फिर इसी ओर मुड़ गयी थी …..डर गयी गौरा …..हे मेरे सखे ! मेरे बाबा को बचा लेना ….घुटनों के बल बैठ कर वो प्रार्थना करने लगी थी ।
फिर ये आवाज तेज होती गयी ……इसकी तो थी सखी रंजना जिसका पचास मुसलमानों ने मिलकर बलात्कार किया और मार कर फेंक दिया …..वो उठकर गयी झरोखे में धीरे से झरोखा खोला ……ओह ! आतंककारियों की उन्मादी भीड़ है ….एक हिन्दू का घर फूँक दिया था ….जो गौरा के पास में ही था …शायद घर के लोगों को भी जला दिया गया हो …..ये बेचारी गौरा काँप रही है …..क्यों राक्षस बन गये हैं ये लोग ……अपने मीत से बातें करती है ……
पर मेरे बाबा ! अब्दुल्ला का घर भी तो उधर ही हैं ….कहीं मेरे बाबा को तो नही जला दिया !
ये दौड़ी अपने श्रीकृष्ण के पास …..आसन में बैठी नही सिर रख दिया ….मेरे बाबा को बचा लेना ….मेरे बाबा को कुछ मत होने देना ….ये रो पड़ी थी …..पर इस गौरा से गलती ये हो गयी कि झरोखा लगाना ये भूल गयी ….तभी एक बारूद किसी ने इसके घर के भीतर फेंक दिया …….
बुखार से तप रहा था अब्दुल्ला का बेटा ……नाड़ी पकड़ी ज्वर दिमाग में चढ़ गया था इसलिये एक इंजेक्शन और दो गोलियों दे दीं ……अपना थैला अब्दुल्ला को देते हुये बोले …चलो , मुझे मेरे घर छोड़कर आओ ।
तभी –
अल्लाहो अकबर , अल्लाहो अकबर ,
उन्मादी भीड़ फिर इधर चली आयी थी ।
अब्दुल्ला ने चक्रवर्ती महाशय से कहा …..साहब ! दो तीन घण्टे के लिए आप कहीं न जायें ….ये लोग आपको मार देंगे …..चक्रवर्ती उठे बोले …..तुमको नही जाना है मत जाओ …पर मैं तो जा रहा हूँ ….मेरी युवा बेटी घर में है और ये आतंककारी न जाने क्या कर बैठें ।
थैला कन्धे में रखकर जैसे ही उठे …..हाथ पकड़कर गिर दिया अब्दुल्ला ने और गेट लगा दिया ।
क्या है ? भीड़ में से कोई अब्दुल्ला के घर में घुस आया था ……उसी से अब्दुल्ला पूछ रहा था …….कोई हिन्दू है तुम्हारे यहाँ ? हम सब मुसलमान हैं …ये घर मुसलमान का है …..कोई बात नही भाई जान नाराज़ क्यों होते हो ? वो लोग चले गये ।
अब चक्रवर्ती साहब रो रहे हैं ….मेरी बेटी ! मेरी बेटी गौरा ! ये दरिन्दे उसे नही छोड़ेंगे !
आप हिम्मत रखिये …आप अपने खुदा पर भरोसा क्यों नही करते ….सब ठीक हो जायेगा ….
चक्रवर्ती साहब महामन्त्र का जाप करने लगे थे …..भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण कर रहे थे …आर्त पुकार थी ये चक्रवर्ती साहब की ।
घर के परदे जलने लगे …पानी डाल रही है गौरा ..जैसे तैसे बुझा तो दिया आग को …पर अब इसे झरोखा बन्द करना है …नीचे जाकर देखकर आयी है द्वार अच्छे से बन्द है पर ऊपर झरोखा ..अब ये धीरे धीरे झरोखे के पास आयी …गौरा के घर आगे ही भीड़ रुक गयी है …केरोसिन की बोतल उछाल रहे हैं …लोग ऐसे भी ही जायेंगे ये इस भूमि ने भी नही सोचा होगा ।
झरोखा जैसे ही बन्द किया गौरा ने …दो लड़कों ने देख लिया था उसे …
ओह ! क्या सुन्दरता पाई है ! खुदा क़सम बहुत सुन्दर है ….भीड़ ने जैसे ही सुना …टूट पड़े उस घर में ….द्वार खटखटाने लगे ……द्वार खोलो …द्वार खोलो …उन्मादी भीड़ पगला गयी थी गौरा को देखकर ….पहली बात हिन्दू थी ये और दूसरी बात सुन्दर थी ….इन वासना के भेड़ियों को और क्या चाहिये था ….तोड़ दो इस के द्वार को ……सब लोग चिल्लाये ।
हे नाथ ! मुझे बचा लो ….हे मेरे मीत ! मैं सिर्फ़ आपकी हूँ ….आप ये बात जानते हैं ….क्या सिंह के भाग को कुत्ता देख भी सकता ! तो क्या सिंह को लज्जा नही आनी चाहिये !
गौरा ने जैसे ही अपने मीत को ये शब्द कहे …..वो तो गम्भीर हो गये ….हाँ मुस्कुराती छवि आज गम्भीर हो गयी थी ……..
शेष कल –
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Allahu Akbar … Allahu Akbar …..
What has happened Baba! Whose eye has caught our beautiful “Dhaka”….
Kshitishchandra Chakraborty was narrating the story of Bhagwat in Bengali to his daughter Gaura….that’s why thousands of Muslims are leaving shouting slogans against Hindus.
Rukmini ji wrote a letter to Lord Krishna……Chakravarti Mahasaya was narrating the same incident…and Gaura was listening with emotion….but because of these terrorists, the story was getting interrupted….so Gaura got up to close the window …..Oh ! They are burning the houses of Hindus….they have set them on fire….they are burning them alive by sprinkling kerosene….there is little personal enmity….just the title should be to burn them alive – Mukherjee, Banerjee, Chakraborty, Chattopadhyay or Whoever may be a Hindu…then this crowd will kill him.
Daughter ! Put the window….don’t see it in a hurry…..
Poor Mr. Chakraborty is scared now… In this city of Dhaka once upon a time big things used to be done in his name only… but now…….
Gaura immediately put the Jharokha…and it lit up….Bhagwat is open….But before reading Bhagwat, Gaura says only this much…Baba! There are very fanatic Muslims…don’t know what will happen to this Dhaka…don’t know what will happen? Chakraborty sir is sweating even in the month of Aghan.
He was about to narrate the story of Bhagwat further when someone knocked at the door. No daughter! You don’t go….I see….Chakraborty went to the door with trembling feet…..then turned and looked at his daughter….signaled you to hide….she hid.
“Sir, open the door”……A voice came again and knocked on the door again.
Who ? That’s all I asked.
Chakraborty Sahab started sweating on hearing this name, I am Abdullah.
Why ? What is the work in my house….some were speaking with courage…and you had broken the glass of my house….why? The door hasn’t been opened yet, they are speaking from inside.
Sir ! My son is ill… Today Dhaka is also closed… All the doctors have gone on strike today… Sir! Only you can do something, don’t you? That day the crowd provoked me…..that Abdullah was crying outside. Daughter put her hand on father’s shoulder… Father! Open it.
Seeing the courage of the daughter, the father opened the door….As soon as he opened the door, he fell at the feet of Mr. Abdullah Chakraborty….He started crying bitterly….My son is suffering from fever….he will die sir….daughter’s Chakraborty Sahab looked further…the daughter looked at her friend Shri Krishna…then said…go father…I will stay here…but will come soon.
Gave the medicine bag to Abdullah… also kept some injections for emergency.. and Chakraborty sahab left with Abdullah.
Daughter ! Don’t open the door until I come. They went saying this.
Hey Bhuvan Sundar! You have settled in my heart through the ear holes….I have made a relation with you….Hey! There would be such a woman in this world who would not like to make you her husband….I have made you my husband.
Gaura is reading Rukmani ji’s letter in Bhagwat…then looks at her friend Shri Krishna….he is smiling…..she also smiles….then starts reading further Bhagwat.
Allahu Akbar! Allahu Akbar!
Again this voice echoed…..that crowd again turned in this direction…..Gaura got scared…..oh my friend! Please save my Baba… She started praying sitting on her knees.
Then this voice kept getting louder……It was her friend Ranjana who was raped by fifty Muslims together and thrown out….She got up and slowly opened the window in the window……Oh! There is a frenzied mob of terrorists….the house of a Hindu was burnt….which was near Gaura…maybe the people of the house were also burnt…..this poor Gaura is trembling…..why did she become a monster Are these people …… talks to their friends ……
But my father! Abdullah’s house is also there…. My Baba was not burnt somewhere!
She ran to her Shri Krishna…..did not sit on the seat but kept her head….save my baba….don’t let anything happen to my baba….she was crying…..but Gaura made a mistake that She forgot to put a window….that’s why someone threw a gunpowder inside her house…….
Abdullah’s son was suffering from fever…… caught the pulse, fever had climbed into the brain, so gave one injection and two pills…… giving his bag to Abdullah said… Come on, drop me at my home.
Only then –
Allahu Akbar, Allahu Akbar,
The frenzied crowd had come here again.
Abdullah said to Mr. Chakraborty….. Sir! You don’t go anywhere for two to three hours….these people will kill you….Chakraborty got up and said…..you don’t want to go, don’t go…but I am going….my young daughter is at home and these terrorists are not Don’t know what to do.
As soon as he got up after keeping the bag on his shoulder, Abdullah fell holding his hand and closed the gate.
What ? Someone from the crowd had entered Abdullah’s house……Abdullah was asking him…….Is there any Hindu in your place? We all are Muslims…this house belongs to a Muslim…..no problem brother, why are you getting angry? Those people left.
Now Mr. Chakraborty is crying….my daughter! My daughter Gaura! These beasts will not spare him!
You have courage… why don’t you trust your God…. everything will be fine….
Chakraborty sahab had started chanting the Mahamantra…..he was remembering Lord Krishna…this was the prayer of Chakraborty sahab.
The curtains of the house started burning…Gaura is pouring water…somehow the fire was extinguished…but now we have to close the window…Going down, she came to see that the door is well closed but the window at the top…Now she is slowly opening the window. Came closer…the crowd has stopped in front of Gaura’s house…they are throwing kerosene bottles…even this land would not have thought that people would go like this.
As soon as Gaura closed the Jharokha… two boys had seen her…
Oh ! What a beauty! I swear to God it is very beautiful….the crowd broke down in that house….the door started knocking……open the door…open the door…the frenzied crowd went crazy seeing Gaura….first thing she was a Hindu and secondly she was beautiful Thi….What else did these wolves of lust want….Break down his door……everybody shouted.
Hey Nath! Save me….O my friend! I am only yours….you know this thing….can even a dog see the part of a lion! So shouldn’t the lion feel ashamed?
As soon as Gaura said these words to her friend…..he became serious….yes the smiling image had become serious today…..
rest of tomorrow