गतांक से आगे –
कलकत्ता रेल मार्ग से मथुरा पहुँचीं थीं गौरा ….कलकत्ता और नवद्वीप के शताधिक भक्त थे …उनके साथ ही गौरा थीं ….उन दिनों भारत को आज़ादी क्या मिली हिन्दू मुसलमान का गृहयुद्ध और छिड़ गया था ….अब माँग उठाने लगे थे मुसलमान की उन्हें दूसरा देश चाहिये ….ऐसी स्थिति में मथुरा पहुँचे थे ये लोग ….श्रीकृष्ण के चित्रपट की गौरा अष्टयाम सेवा करती थीं …एक डलिया साथ में रखा था जिसमें अपने श्रीकृष्ण को इन्होंने सुलाया था ….बाकी कोई सामान था नही ….एक थैला अवश्य था जिसमें गौरा के कपड़े रखे थे और कुछ बर्तन , कपड़े भी सिर्फ दो जोड़ी । मथुरा में जब उतरे ये लोग वह समय दोपहर का था …भूजा और सन्देश खिलाकर अपने श्रीकृष्ण को गौरा ने सुला दिया था …..ऊपर एक कपड़े से ढँका हुआ था …..ये चली जा रही थीं । पर मथुरा में किसी मुसलमान ने होली गेट में बम फोड़ दिया …तो पुलिसकर्मीयों ने सुरक्षा कड़ी कर दी …जो भी श्रीकेशव देव मन्दिर या द्वारिकाधिश मंदिर या भीड़ वाले इलाके में जा रहा है ….उसकी पूरी चैकिंग हो रही थी । गौरा के मथुरा उतरते ही इसके साथी सब छूट गये थे …भीड़ बहुत थी …रोड में राजनीतिक लोगों का क़ब्ज़ा था ….कोई ज़िन्दाबाद कह रहा था तो कोई मुर्दाबाद कह रहा था …कोई मुसलमानों को गालियाँ दे रहा था तो कोई हिन्दुओं को ।
गौरा खो गयी ….उसके लोग उससे छूट गये ….द्वारिकाधीश मन्दिर की ओर अकेली गौरा चली थी उसे दर्शन करने थे और विश्राम घाट में स्नान करके ही श्रीवृन्दावन के लिए जाना था ।
पर होली गेट में पहुँचते ही …वहाँ तो भारी बन्दोबस्त है पुलिसकर्मीयों का ….क्यों कि अभी अभी यहाँ बम फोड़ा गया था ….पुलिसकर्मी सबकी चेकिंग कर रहे थे ….गौरा जाती है तो पुलिस वाले कहते हैं …..ये क्या है ? वो सीधे कहती है मेरे श्रीकृष्ण ….पुलिस वाले कहते हैं …दिखाओ …हमें देखना है ….पर वो कुछ नही बोलती ….क्यों की उसके श्रीकृष्ण सो रहे हैं …वो नही उठाना चाहती …और इस तरह उठाकर वो इन पुलिस वालों को तो बिल्कुल नही दिखा सकती । डर इसे लगता नही है …क्यों की बांग्लादेश में जन्मी है और वहाँ की साम्प्रदायिक हिंसा को इसने नज़दीकी से देखा है ।
“इसे दिखाओ”…….कड़े शब्दों में पुलिस ने कहा ।
वो चुप रही …..इसे हिन्दी समझ में तो आती है …..पर बोल नही पाती । जैसे ही पुलिस वाले डलिया को पकड़ने लगे उसने दूर कर लिया डलिया को …..पुलिस वालों को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है ….ये महिला कुछ तो छुपा रही है ……पुलिस वाले गौरा के पास गये और डलिया को जैसे ही पकड़ने लगे ….एक तीव्र प्रकाश डलिया से निकला और पुलिस वालों की आँखें चुधियाँ गयीं ….कुछ मिनट तक वो देख ही नही पाये उन्हें लगा उनके नेत्र की ज्योति ही चली गयी है ।
पर गौरा वहीं बैठ गयीं ….डलिया उसके हाथों में था …वो बंगाली भाषा में डाँट रहीं थीं अपने मीत को ….कि ये सब करने की क्या जरुरत थी …..
पुलिस वाले नतमस्तक हो गये थे ….वो कुछ नही बोल रहे थे अब ।
गौरा उठी और बिना कुछ बोले वो विश्राम घाट की ओर चल दी ….
आनन्द में झूम रही थी गौरा ….मेरे मीत की जन्म भूमि है ये …उसका मन श्रद्धा से ओतप्रोत था …वो गदगद थी …यमुना जी में उसने स्नान किया ….अपने श्रीकृष्ण को भी उसने स्नान कराया ….सन्ध्या की वेला हो गयी थी ….वहीं से रबड़ी ख़रीद कर भोग लगाया और श्रीवृन्दावन के लिए चल दी गौरा ।
पर रास्ता भटक गयीं ….सन्ध्या को निकली थीं श्रीवृन्दावन के लिए ….रात हो गयी ….अब किधर से जाना है ये पता नही ….सहायता के लिए दो लोग आये गौरा के पास और बोले हम पहुँचा देंगे वृन्दावन । ये लोग साथ हो लिये । सुन्दर तो थीं ही गौरा …अद्भुत रूप लावण्य था ….ये लोग वासनावश गौरा के साथ चलने लगे…..आगे जंगल आया …वहाँ गौरा को इन लोगों ने रोक लिया ….वो रुक गयी …सहज है गौरा ….इसे डर है ही नही …और डर भी हो तो किसका ? इसके साथ इसका मीत है …जो हर समय इसकी रक्षा करेगा ही ।
एक व्यक्ति ने हाथ जैसे ही पकड़ना चाहा …..गौरा अपनी डलिया की ओर देखकर बोली …”नही“। क्यों की उसका मीत गौरा से कह रहा था ….इस आदमी का अब हाथ टूटेगा ….गौरा “नही नही” कह रही थी …उस आदमी को लगा ये इतनी सहजता से “नही” कह रही है तो मान ही जाएगी …उसने जैसे ही गौरा को छूआ ….वो जोर से चिल्लाया ….उसके हाथ को किसी ने पकड़ लिया था और एक ही बार में पूरा ही मोड़ दिया था । वो गिर गया …दूसरा आदमी अपने साथी की ये स्थिति देखकर भाग गया …..गौरा पूछ रही है ….क्या हुआ ! चोट ज़्यादा लगी ? वो अब गौरा से डर रहा था …..विनती कर रहा था ।
गौरा ! तू चल ! ये ठीक हो जायेगा । श्रीकृष्ण ने कहा ….और गौरा अपने मीत के साथ वृन्दावन के लिए चल दी थी ।
शेष कल –
ahead of speed
Gaura had reached Mathura by train from Calcutta….There were hundreds of devotees from Calcutta and Navadweep…Gaura was with her….What did India get freedom in those days, Hindu-Muslim civil war had broken out….Now they started raising the demands of Muslims. Need another country….These people had reached Mathura in such a situation….Gaura Ashtayam used to serve Shri Krishna’s painting…had kept a cot in which she had put her Sri Krishna to sleep….there was no other stuff….must have a bag There was a room in which Gaura’s clothes were kept and some utensils, also only two pairs of clothes. When these people landed in Mathura, it was afternoon time…Gaura had put Krishna to sleep after feeding him with Bhuja and Sandesh….He was covered with a cloth on top…..She was leaving. But in Mathura, a Muslim blasted a bomb at the Holy Gate… So the policemen tightened the security… Whoever is going to Sri Keshav Dev Temple or Dwarkadhish Temple or crowded area….He was being thoroughly checked. As soon as Gaura landed in Mathura, all his companions were left… there was a lot of crowd… the road was occupied by political people… someone was saying Zindabad, someone was saying Murdabad… someone was abusing Muslims and someone was abusing Hindus.
Gaura got lost….her people left her….Gaura went alone towards Dwarkadhish temple to have darshan and had to go to Shri Vrindavan only after taking bath in Vishram Ghat.
But as soon as we reach the Holy Gate…there is a heavy presence of policemen….because a bomb was exploded here just now….the policemen were checking everyone….when Gaura goes, the policemen say…..what is this? She directly says my Shri Krishna….the policemen say…show…we have to see….but she does not say anything….because her Krishna is sleeping…she does not want to wake up…and in this way by lifting these policemen Can’t show at all. She does not feel fear… because she was born in Bangladesh and has seen the communal violence there from close quarters.
“Show it”…… said the police in strong words.
She remained silent…..she understands Hindi…..but could not speak. As soon as the policemen started catching the dalia, she took the dalia away…..the policemen felt that something was wrong….this woman is hiding something……the policemen went to Gaura and started catching the dalia as soon as ….An intense light emanated from the basket and the eyes of the policemen squinted….They could not see for a few minutes, they felt that the light in their eyes had gone.
But Gaura sat there….the basket was in her hands…she was scolding her friend in Bengali language….what was the need to do all this…..
The policemen had bowed down….they were not saying anything now.
Gaura got up and without saying anything she went towards Vishram Ghat….
Gaura was swinging in joy….this is the birth place of my friend…her mind was full of devotion…she was giddy…she bathed in Yamuna ji….she bathed her Krishna too….it was evening time ….After buying rabdi from there, offered bhog and Gaura left for Sri Vrindavan.
But she lost her way….had left for Sri Vrindavan in the evening….it was night….don’t know from where to go….two people came to Gaura for help and said they will take her to Vrindavan. These people got along. Gaura was beautiful…the wonderful form was graceful….these people started walking with Gaura out of lust….the forest came ahead…there Gaura was stopped by these people….she stopped…Gaura is comfortable….she is afraid. No…and if you are afraid of whom? It is accompanied by its friend… who will protect it at all times.
As soon as a person wanted to hold his hand… Gaura looked at her bundle and said… “No”. Because his friend was saying to Gaura….this man’s hand will be broken now….Gaura was saying “no no”…the man felt that if she is saying “no” so easily then she will agree…as soon as she Touched Gaura….He shouted loudly….Someone had caught hold of his hand and twisted it completely in one go. He fell down…the other man ran away after seeing this condition of his partner….Gaura is asking….what happened! Hurt too much? He was now scared of Gaura…..was begging.
Gaura! you go It will be fine. Shri Krishna said….and Gaura had left for Vrindavan with her friend.
rest of tomorrow