हरि हरि बोल
आज की कथा में पढ़ते हैं
मुझे रोज सत्संग की क्या जरूरत है
एक बार एक युवक पुज्य कबीर साहिब जी के पास आया और कहने लगा, ‘गुरु महाराज! मैंने अपनी शिक्षा से पर्याप्त ज्ञान ग्रहण कर लिया है। मैं विवेकशील हूं और अपना अच्छा-बुरा भली-भांति समझता हूं, किंतु फिर भी मेरे माता-पिता मुझे निरंतर सत्संग की सलाह देते रहते हैं। जब मैं इतना ज्ञानवान और विवेकयुक्त हूं, तो मुझे रोज सत्संग की क्या जरूरत है?’
🌺कबीर ने उसके प्रश्न का मौखिक उत्तर न देते हुए एक हथौड़ी उठाई और पास ही जमीन पर गड़े एक खूंटे पर मार दी। युवक अनमने भाव से चला गया।
🌺अगले दिन वह फिर कबीर के पास आया और बोला, ‘मैंने आपसे कल एक प्रश्न पूछा था, किंतु अापने उत्तर नहीं दिया। क्या आज आप उत्तर देंगे?’ कबीर ने पुन: खूंटे के ऊपर हथौड़ी मार दी। किंतु बोले कुछ नहीं। युवक ने सोचा कि संत पुरुष हैं, शायद आज भी मौन में हैं।
🌺वह तीसरे दिन फिर आया और अपना प्रश्न दोहराया। कबीर ने फिर से खूंटे पर हथौड़ी चलाई। अब युवक परेशान होकर बोला, ‘आखिर आप मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं? मैं तीन दिन से आपसे प्रश्न पूछ रहा हूं।
🌺 तब कबीर ने कहा, ‘मैं तो तुम्हें रोज जवाब दे रहा हूं। मैं इस खूंटे पर हर दिन हथौड़ी मारकर जमीन में इसकी पकड़ को मजबूत कर रहा हूं। यदि मैं ऐसा नहीं करूंगा तो इससे बंधे पशुओं द्वारा खींचतान से या किसी की ठोकर लगने से अथवा जमीन में थोड़ी सी हलचल होने पर यह निकल जाएगा। यही काम सत्संग हमारे लिए करता है। वह हमारे मनरूपी खूंटे पर निरंतर प्रहार करता है, ताकि हमारी पवित्र भावनाएं दृढ़ रहें। युवक को कबीर ने सही दिशा-बोध करा दिया। सत्संग हररोज नित्यप्रति हृदय में सत् को दृढ़ कर असत् को मिटाता है, इसलिए सत्संग हमारी जीवन चर्या का अनिवार्य अंग होना चाहिए।
🌹🌹 हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे 🌹🌹🙏🙏
Say Hari Hari
Let’s read in today’s story
🌹🌹 Why do I need daily satsang?
🌺 Once a young man came to Pujya Kabir Sahib Ji and said, ‘ Guru Maharaj! I have acquired enough knowledge from my education. I am sensible and understand my good and bad very well, but still my parents keep on advising me for satsang. When I am so knowledgeable and intelligent, why do I need daily satsang?’
🌺 Kabir did not give a verbal answer to his question, picked up a hammer and hit a peg on the ground nearby. The young man left reluctantly.
The next day he again came to Kabir and said, ‘I asked you a question yesterday, but you did not answer. Will you answer today?’ Kabir again hit the peg with his hammer. But didn’t say anything. The young man thought that the saint is a man, perhaps even today he is in silence.
🌺 He came again on the third day and repeated his question. Kabir again hammered the peg. Now the young man got upset and said, ‘Why are you not answering me? I have been asking you questions for three days.
🌺 Then Kabir said, ‘ I am answering you everyday. I am hammering this peg every day to strengthen its hold in the ground. If I don’t do this, it will come out due to pulling by the animals tied to it or by someone’s stumbling or a slight movement in the ground. This is what satsang does for us. He continuously hammers the pegs of our mind, so that our sacred feelings remain firm. Kabir gave the young man the right direction. Satsang destroys the untruth by strengthening the truth in the heart every day, so satsang should be an essential part of our life.
🌹🌹 Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare 🌹🌹🙏🙏