गणेश जी के टूटे दांत की कहानी!

जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए बैठे, तो उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो उनके मुख से निकले हुए महाभारत की कहानी को लिखे।

इस कार्य के लिए उन्होंने श्री गणेश को चुना। गणेश जी भी इस बात के लिए मान गए, पर उनकी एक शर्त थी कि पूरा महाभारत लेखन को एक पल ले लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा।

गणेश जी बोले – अगर आप एक बार भी रुकेंगे तो मैं लिखना बंद कर दूंगा।

महर्षि वेदव्यास नें गणेश जी की इस शर्त को मान लिया।

लेकिन वेदव्यास ने गणेश जी के सामने भी एक शर्त रखा और कहा – श्रीगणेश, आप जो भी लिखोगे समझ कर ही लिखोगे।

गणेश जी भी उनकी शर्त मान गए। दोनों महाभारत के महाकाव्य को लिखने के लिए बैठ गए। वेदव्यास जी महाकाव्य को अपने मुहँ से बोलने लगे और गणेश जी समझ-समझ कर जल्दी-जल्दी लिखने लगे। कुछ देर लिखने के बाद अचानक से गणेश जी की कलम टूट गई। कलम महर्षि के बोलने की तेजी को संभाल ना सकी।

गणेश जी समझ गए कि उन्हें थोडा सा गर्व हो गया था और उन्होंने महर्षि के शक्ति और ज्ञान को ना समझा। उसके बाद उन्होंने धीरे से अपने एक दांत को तोड़ दिया और स्याही में डूबा कर दोबारा महाभारत की कथा लिखने लगे।

जब भी वेदव्यास को थकान महसूस होती वे एक मुश्किल सा छंद बोलते , जिसको समझने और लिखने के लिए गणेश जी को ज्यादा समय लग जाता था और महर्षि को आराम करने का समय भी मिल जाता था।

महर्षि वेदव्यास जी और गणेश जी को महाभारत लिखने में 3 वर्ष लग गए।
 सनातन धर्म की जय 



When Maharishi Ved Vyasa sat down to write the Mahabharata, he needed a person to write down the story of the Mahabharata that came out of his mouth.

He chose Shri Ganesh for this work. Ganesh ji also agreed to this, but he had a condition that the writing of the entire Mahabharata would have to be completed without stopping even for a moment.

Ganesh ji said – If you stop even once, I will stop writing.

Maharishi Vedvyas accepted this condition of Ganesh ji.

But Ved Vyas also put a condition in front of Ganesh ji and said – Shri Ganesh, whatever you write, you will write after understanding it.

Ganesh ji also agreed to his condition. Both sat down to write the epic of Mahabharata. Ved Vyas ji started speaking the epic from his own mouth and Ganesh ji started writing quickly after understanding it. After writing for some time, Ganesh ji’s pen suddenly broke. The pen could not handle the pace of Maharishi’s speech.

Ganesh ji understood that he had become a little proud and did not understand the power and knowledge of Maharishi. After that, he slowly broke one of his teeth and after dipping it in ink, started writing the story of Mahabharata again.

Whenever Ved Vyas felt tired, he used to recite a difficult verse, which took a long time for Ganesha to understand and write, and Maharishi also got time to rest.

Maharishi Vedvyas ji and Ganesh ji took 3 years to write Mahabharata.  Glory to Sanatan Dharma 

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