हे केशव! मुझ अधम की करुण पुकार सुन कर मेरा उद्धार कीजिए और अपने दीनानाथ नाम होने का,जो विश्व विख्यात है
उसकी पालना कीजिए,जिसका कोई नहीं उसके आप सहाई हो, ऐसा सुन रखा है मैंने आपके निज ब्रजवासियों के मुख से,
फिर आप मुझ अधम पर अपनी कृपा दृष्टि डालने से क्यों संकुचा रहे हो,आपका नाम तो पतितो को पावन करने के समान है,
भव सागर से पार पहुंचने की नौका है आपका नाम तो इसी नाम का आधार लेकर मैं भी भवसागर तर जाऊ,
ऐसी कृपा करिए अब सब तरफ से निराश, हताश केवल आपकी शरण आया हूँ,अब आपकी शरण आया हूँ,
आप चाहे तो मार दो या तार दो अब आपकी मर्जी लेकिन अब आपके चरणों को छोड़कर कही नहीं जाऊँगा,
फिर भी अगर आपने मुझ अधम को नहीं अपनाया और ऐसे ही धुत्कारते रहे तो एक बात याद रखिए
प्रभु फिर आपको भक्त वत्सल कौन कहेगा , दीनो का नाथ कौन कहेगा सोचिए प्रभु कुछ सोचिए