कन्हैया तेरी मुरली , सोने न देती
रोना चाहें यह अँखियाँ रोने न देती…
मन में प्रेम रागिनी का करती संचार
चितवन नाचे होय मस्त मधुर बयार…..
बागों में हिल हिल डाली, फूल मुस्काबे,
भंवरे भी होय मगन मीठी गुंजन गावें….
सुध बुध खोए बैठी यहाँ सब सखियाँ
मिली हैं मोहन जबसे तुम संग अँखियाँ…
प्रेम रस मीठा सारा संसार कड़वा लागे,
जुड़े हैं कान्हा संग जब से मन के धागे…
पार कर दुश्वारी , जगत सारा तुमने तारा,
जगा दो कान्हा आकर सोया भाग्य हमारा…
अँखियाँ अब बस तेरी राहों में बिछी….