अब वे आते ही होंगे ।
देखो न, वह आ रहे हैं फरफराता हुआ पीताम्बर, मन्द-मन्द पदविन्यास,
हाथमें बांसुरी, मेघश्याम श्रीविग्रह,
मन्द-मन्द मुसकान, प्रेमभरी चितवन, अनुग्रहपूर्ण भौंहें, उन्नत ललाट,
गोरोचनका तिलक, काले-काले
घुंघराले बाल, मयूरपिच्छका मुकुट
सब-का-सब आंखोंमें, प्राणोंमें,
हृदयमें और आत्मा में दिव्य
अमृतका संचार कर रहा है।
देखो तो कुछ गाते हुए आ रहे हैं ।
उनकी लीलाओं का आनन्द लें ।
श्याम सुन्दर गुनगुना रहे हैं ?
मेरे सामने राधा है,मेरे पीछे राधा है,
मेरे बायें राधा है, मेरे दाहिने राधा है,
पृथ्वी में राधा है, आकाश में राधा है,
यजमान यह सम्पूर्ण त्रिलोकी
मेरे लिये राधामय क्यों हो गयी ।
श्री राधे राधे