आज का प्रभु संकीर्तन।।भगवान को पाने का सर्वोत्तम,सहज और अत्यंत सुलभ मार्ग भक्ति मार्ग है।
इस धरा धाम पर आने के बाद मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए, परमात्मा को प्राप्त करना | परमात्मा को प्राप्त करने के लिए कई साधन बताए गए हैं , परंतु सबसे सरल साधन है भगवान की भक्ति करना।जैसा कि हमारे पुराणों में कथाएं पढ़ने को मिलती है कि भगवान मूढ व्यक्ति को शीघ्रता से प्राप्त हो जाते हैं परंतु ज्ञानी उनको पाने के लिए अनेक साधन करता है फिर भी उनके दर्शन नहीं प्राप्त कर पाता। इसका कारण यही है कि जब मनुष्य मूढ होता है तो उसे कुछ भी ज्ञान नहीं होता है वह सिर्फ भगवान को जानता है और उन्हीं से अपना लगाव लगाता है , और ज्ञानी व्यक्ति क्योंकि भगवान को प्राप्त करने की अनेक साधन जानता है तो उन्हीं साधनों में वह भटका रहता है कि कौन सा साधन करूँ तो भगवान को प्राप्त कर पाऊँ | यही करने में उसका जीवन व्यतीत हो जाता है और उसको भगवान नहीं प्राप्त हो पाते |आज के युग में कोई भी मूर्ख नहीं है | आज मनुष्य ने स्वयं के विकास के लिए विज्ञान धर्म एवं अध्यात्म आदि क्षेत्रों में प्रगति की है , इस प्रगति के कारण उसने अनेकों विधान प्राप्त किये , इन्हीं विधानों का प्रयोग करके मनुष्य विद्वान बना |
परंतु आज एक चीज अवश्य देखने को मिलती है की पूर्व काल के विद्वानों की अपेक्षा आज के विद्वान स्वयं को विद्वान मानते हैं।और जब व्यक्ति स्वयं को कुछ मानने लगता है तो उसे कुछ भी नहीं प्राप्त होता है | भगवान को वही प्राप्त कर सकता है जो स्वयं को कुछ न समझे | आज स्वयं को कुछ न समझने वाला संसार में शायद ही कोई मिले | यही कारण है कि आज भगवान को प्राप्त करना एक सपना बनकर रह गया है |
आज देखने को मिल रहा है किंचित मात्र भी विद्वता आ जाने के बाद मनुष्य में अहंकार प्रकट हो जाता है | और जिस में किंचित भी अहंकार है वह कभी भगवान को नहीं प्राप्त कर सकता है। क्योंकि भगवान को अहंकारी व्यक्ति बिल्कुल पसंद नही है | अहंकारी व्यक्ति भगवान के आस पास भी नहीं पहुंच सकता है |
भगवान या तो महामूर्ख को मिलते हैं या फिर परम ज्ञानी को। बाकी मनुष्य मोह माया, काम ,क्रोध, मद ,लोभ आदि विकारों में भ्रमित होकर भगवान को प्राप्त करने का दिखावा मात्र करते हैं और अपने कर्मों के फलस्वरूप उन्हें कुछ भी प्राप्त नही हो पाता।भगवान को प्राप्त करने के लिए स्वयं के मैं को नष्ट करना पड़ता है | जिसे आज का मनुष्य नहीं कर पा रहा है |
हम जितना सत्संग ग्रहण करेंगे,उतना ही हमारा मन निर्मल होगा।भक्ति का सबसे सहज,सुगम,सरल मार्ग नाम जाप है, नाम जप से मनुष्य भक्ति के चरम सीमा तक जा सकता है।जय जय श्री राधेकृष्ण जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।