भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि केवल मूर्ति में मेरा दर्शन करने वाला नहीं अपितु सारे संसार में प्रत्येक जीव के भीतर और कण-कण में मेरा दर्शन करने वाला ही मेरा भक्त है।
प्रत्येक वस्तु परमात्मा की है, अपनी मानते ही वह अशुद्ध हो जाती है। प्रकृति में परमात्मा नहीं,अपितु ये प्रकृति ही परमात्मा है। जगत और जगदीश अलग-अलग नहीं, एक ही तत्व हैं। परमात्मा का जो हिस्सा दृश्य हो गया है वह जगत है,और जगत का हो हिस्सा अदृश्य रह गया वह जगदीश है।
संसार से दूर भागकर कभी भी परमात्मा को नहीं पाया जा सकता है। संसार को समझकर ही भगवान् को पाया जा सकता है। जगत में कहीं दुःख,अशांति, भय नहीं है। यह सब तो तुम्हें अपने मनमाने आचरण, असंयमता और विवेक के अभाव के कारण प्राप्त हो रहा है।
किसी को डर है कि भगवान देख रहा है,
किसी को भरोसा है कि भगवान देख रहा है…!!!
जय श्री कृष्ण