हे प्राणधन कान्हा प्रियकान्त प्यारे जु सुनो, माधव
छू लूँ तुझे या ,
तुझ में ही बस जाऊँ
कोई तो ऐसा रास्ता दिखा,,
जिससे हर जन्म के लिए ;
बस तेरी ही हो जाऊँ
रंग बनूँ या कोरी रह जाऊँ,,,
कुछ तो ऐसा लम्हा बना…
…जीवन मे मेरे तूं ऐसे बस जा ;
कि बस तेरे ही रंग में सदा रंग जाऊँ
लब्ज लिखूँ या खामोश रह जाऊँ ,
कोई तो ऐसी मधुर सा़ज सजा ;
कि तेरी धुन में मैं रम़ जाऊँ
…करूँ इश्क या करूँ तुमसे मोहब्बत,,,
थोड़ी सी तो अपनी भी रज़ा बता ;
जिससे तुंम में ही मैं मिल जाऊँ…
श्याम नाम की पगली!!
जय जय श्रीराधेकृष्णा जी