आज का आध्यात्मिक विचार
ब्रज रज की महिमा
संसार एक रज के समान है जो पल पल जिसका झड़ना हो रहा हैं
रज अर्थात रजोगुण
नित्य व्रज रज का तीन जगह तिलक कीजिए –
★ मस्तक पर
★ कंठ पर
★ हृदय स्थल पर
ब्रज रज की यह महिमा हैं कि स्वयं श्यामा-श्याम अपने मुख से, शेष जी अपने सौ मुखों से भी महिमा रज की बखान नहीं कर सकते है
उद्भव जी, ब्रह्मा जी, स्वयं शंकर जी ने रज की याचना की हैं
आज भी लक्ष्मी जी तपस्या कर रही ब्रज रज की प्राप्ति के लिए
बिन रज के सेवन के हृदय में रसिकता नहीं आएगी, अखंड प्रेम की अनुभूति करनी है तो रज का सेवन करना ही पड़ेगा
गुणातीत स्थिति रज की कृपा से ही प्राप्त होती है
भ्रम, भय, दोष दूर होते है, यह बहुत कम महिमा कही है…. रज के संग से ही रसिक कहलाये
हे कान्हा जी … मुझे बनमाला का फूल बना दो तो लगी रहूँ हृदय से तुम्हारे…..
अपने अपने गुरुदेव की जय
श्री कृष्णाय समर्पणं
spiritual thought of the day Glory of Braj Raj The world is like a secret, which is falling every moment
Raj means passion
Do Tilak of Vraj Raj daily at three places – ★ on forehead ★ on throat ★ at heart site
Such is the glory of Braj Raj that Shyam-Shyam himself can not tell the glory of Raj with his mouth, Shesh ji even with his hundred mouths. Uddhav ji, Brahma ji, Shankar ji himself has pleaded for Raj Even today Lakshmi ji is doing penance to get Braj Raj
Without the consumption of Raj, there will be no passion in the heart, if you want to feel unbroken love, then you will have to consume Raj. The transcendental state is attained only by the grace of Raja. Confusion, fear, faults go away, this is very little glory somewhere…. Be called a fan only by the company of Raj Hey Kanha ji… Make me a flower of Banmala, then I will be attached to your heart….. Hail to our own Gurudev shri krishna dedication