हनुमान जी की मान्यता पर विचार करें, इस जगत में जितने पूजाघर हैं, सबसे अधिक हनुमान जी के हैं। सबसे छोटा, सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला ग्रंथ श्रीहनुमानचालीसा है। सप्ताह का दिन, जब सबसे अधिक लोग मंदिर जाते हैं, वह मंगलवार है।
कारण क्या है? उनके पास ऐसा क्या है कि सारी दुनिया उनके पीछे लगी है, कि हनुमान जी ये दे दो, हनुमान जी वो दे दो? देखो! उनके पास संसार है ही नहीं। उनके पास तो दो ही वस्तुएँ हैं। मुख में राम नाम है, हृदय में राम रूप है।
यहाँ तक कि हनुमान जी ने तो अपना घर तक नहीं बनाया, वे तो स्वयं राम जी के घर बने हैं।
“जासु हृदय आगार बसहिं राम सरचाप धर”
किसी ने हनुमान जी से कहा कि आपका बल तो बहुत है, हनुमान जी कहने लगे मेरा तो कोई बल है ही नहीं। उसने पूछा कि तुलसीदास जी ने तो आपको “अतुलितबलधामम्” लिखा है, तो क्या गलत लिखा है?
हनुमान जी कहते हैं कि सही ही लिखा है। मैं अतुलित बल का धाम हूँ। पर मैं धाम हूँ, गोदाम हूँ। इसमें रखा बल मेरा नहीं है, बल तो राम जी का है।
विचार करें! लोग दो प्रकार के हैं। एक जो भगवान को चाहते हैं, दूसरे जो भगवान से चाहते हैं। हनुमान जी तो “राम दुआरे तुम रखवारे” हैं, राम जी के दरवाजे के चौकीदार हैं। आप उनके पास गए और आपने उनसे राम प्रेम मांगा, तब तो वे प्रसन्न हो जाएँगे, दरवाजा खोलकर भीतर प्रवेश दिला देंगे। यदि आपने उनसे संसार मांग लिया, तो उनके हाथ खाली नहीं हैं, उनका सोटा तैयार ही रहता है।
ध्यान दो जब हनुमान जी लंका में सीता जी को ढूंढ रहे थे, उन्होंने रावण के महल के पास ही एक छोटा सा मंदिर देखा। वे विचार करने लगे कि लंका तो राक्षसों का नगर है, यहाँ सज्जन कहाँ से आ गया? उसी समय विभीषण जागा, उसने कुछ ऐसा किया कि हनुमान जी उससे प्रसन्न हो गए। और उसे न केवल भगवान से मिलाया, लंका का राजा भी बनाया।
विभीषण ने ऐसा क्या किया?
“राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा।
हृदय हरषि कपि सज्जन चीन्हा॥”
राम नाम जपा। अगर आप भी हनुमान जी को प्रसन्न करना चाहते हैं, राम जी को पाना चाहते हैं, तो आप भी यही करें। राम नाम जप करें।
Consider the belief of Hanuman ji, of all the places of worship in this world, most are of Hanuman ji. The shortest, most widely read scripture is the Sri Hanumanchalisa. The day of the week when most people visit the temple is Tuesday.
What is the reason? What do they have that the whole world is following them, that Hanuman ji give this, Hanuman ji give that? See! He doesn’t have the world at all. He has only two things. The name of Ram is in the mouth, the form of Ram is in the heart.
Even Hanuman ji did not even build his own house, he himself built Ram ji’s house.
“Jasu Hriday Aagar Basahin Ram Sarchap Dhar”
Someone told Hanuman ji that you have a lot of strength, Hanuman ji started saying that I have no strength at all. He asked that Tulsidas ji has written “Atulitbaldhamam” to you, so what is wrong?
Hanuman ji says that it is written correctly. I am the abode of incomparable power. But I am a place, I am a warehouse. The power kept in this is not mine, the power is of Ram ji.
Consider! There are two types of people. One who wants God, the other who wants from God. Hanuman ji is “Ram duare tum rakhware”, he is the watchman of Ram ji’s door. You went to him and you asked him for Ram’s love, then he will be happy, will open the door and let you enter inside. If you ask him for the world, then his hands are not empty, his stick is always ready.
Note that when Hanuman ji was searching for Sita ji in Lanka, he saw a small temple near Ravana’s palace. They started thinking that Lanka is a city of demons, where did the gentleman come from here? At the same time Vibhishan woke up, he did something that Hanuman ji became pleased with him. And not only did he meet God, but also made him the king of Lanka.
What did Vibhishan do?
“Ram Ram Tehi Sumiran Keenha.
Hriday Harshi Kapi Sajjan Chinha.
Chant the name of Ram. Lokeshanand says that if you also want to please Hanuman ji, want to get Ram ji, then you should also do the same. Chant the name of Ram.