बीता समय हाथ नहीं आये,
सोच समझ अज्ञानी
थोडी बची है तेरी जिंदगानी।।
गर्भमास में कौल किया,
तूने सारी सुध विसराई।
कर्म रेख नहीं मिटे बावरे,
कर लाखों चतुराई।।
ध्रुव प्रह्लाद तरे कर्मों से
तर गई मीरा बाई।।
मद मस्ती में चूर रहा
तूने जीवन दिया बिताई ।।।
ऐंठ अकड़ में तू घूमत है
चाल चले मस्तानी।
थोडी बची है तेरी जिंदगानी
बीता समय———
नारि अहिल्या तर गई
भव से तर गया सदन कसाई।
वामदेव का छप्पर छा कर
हरि ने टेक निभाई।।
गज और ग्राह लड़े जल भीतर
गज की लाज बचाई।
जब-जब भीड़ पड़ी भक्तों पर
बन गये आप सहाई।।
अब भी तू चेत बावरे
क्या तेरे मन में समायी।
थोडी बची है तेरी जिंदगानी
बीता समय———
नाती बेटा महल दुमहला
कोई साथ ना जावै ।।
हरि भक्ति से ही तर जावे
नहीं पाछे तू पछतावै।।
मेरा-मेरा रटन लगावै
कोई काम नहीं आवै।
किये हुये कर्मों की
तुझको भारी याद सतावै।।।
‘महावीर’ भक्ति में लगजा
जो नौका पार लगानी।।
थोडी बची है तेरी जिंदगानी।।
बीता समय ———–