अपनी अनमोल जीवन उर्जा को चिंता करने में व्यय करने से बेहतर है, इसका उपयोग समाधान ढूंढने में किया जाए। अपनी ऊर्जा का जितना अधिक अपव्यय आप केवल चिंता में करते हैं , उसका आधा भी यदि समाधान ढूँढने की दिशा में किया जाये तो जीवन को शांति एवं आनंद से प्रसन्नतापूर्वक जिया जा सकता है। माना कि जीवन की राह में कष्ट, विपत्तियों का कोहरा घना है। आगे कुछ दिखता ही नहीं और बुद्धि में कुछ सूझता भी नहीं। प्रकृति का नियम ये कहता है ,
कि कोहरा छँटने की प्रतीक्षा में और चिंता में हमारा बहुत समय व्यर्थ चला चला जायेगा। इसलिए जहाँ तक राह दिखे, वहाँ तक चलने का प्रयास करो। वहाँ तक पहुँचने के बाद आप पाओगे कि जैसे - जैसे आप कदम आगे बढ़ा रहे हैं , ऐसे - ऐसे प्रकृति आपको आगे का मार्ग भी दिखाती जा रही है। जीवन के आनंद पथ पर कदमों को रोकने की अपेक्षा धीरे-धीरे ही सही पर निरंतर चलने का प्रयास करें। एक दिन आप पायेंगे कि मंजिल दूर नहीं थी , बस चलने में ही देरी हुई थी॥ शुभ श्रावण मास ॥
It is better to use your precious life energy to find a solution than to spend it worrying. As much as you waste your energy only in worrying, if half of it is done in the direction of finding solutions, then life can be lived happily with peace and joy. Agreed that there is a thick fog of suffering and calamities in the path of life. Nothing is visible in front and nothing is understood in the intellect. The law of nature says that
That a lot of our time will be wasted waiting for the fog to clear and worrying. That’s why try to walk as far as the path is visible. After reaching there, you will find that as you are taking steps forward, nature is also showing you the way forward. Instead of stopping the steps on the path of happiness, try to walk slowly but steadily. One day you will find that the destination was not far, there was just delay in walking. Happy Shravan month.