।। जय श्रीकृष्ण ।।
अवतार का अर्थ होता है, उतरना, अवतरण; ऊपर से आता है कोई, जगह खाली करो, कोई रोशनी उतरती है, कोई बाढ़ आती है, सब कूड़ा-कर्कट बहा ले जाती है। फिर पीछे जो शेष रह जाता है वही भगवत्ता की अनुभूति है। अभी परमात्मा को तो जाना नहीं, इसलिए भक्ति परमात्मा का प्रेम तो अभी हो नहीं सकतीं। शांडिल्य ने चार प्रेम की सीढ़िया कही हैं।
१- स्नेह-
अपने से छोटे के प्रति, बेटे के प्रति, बेटी के प्रति, शिष्य के प्रति, विद्यार्थी के प्रति, अपने से छोटे के प्रति।
२- प्रेम-
अपने से समान के प्रति, मित्र के प्रति, पत्नी के प्रति, पति के प्रति।
३- श्रद्धा-
अपने से श्रेष्ठ के प्रति। पिता के प्रति, मां के प्रति, गुरु के प्रति।
४- भक्ति-
परम के प्रति।
स्नेह से उठो प्रेम में, प्रेम से उठो श्रद्धा में। श्रद्धा तक जाना बिलकुल सुगम है। अधिक लोग प्रेम पर ही अटक गये हैं, उनके जीवन में श्रद्धा का सूत्र नहीं है। और जिनके जीवन में श्रद्धा का सूत्र नहीं है, उनके जीवन में भक्ति का जन्म न हो सकेगा। ये सब श्रृंखलाबद्ध प्रक्रिया है। श्रद्धा के बाद भक्ति है। ।। श्रीकृष्णाय नमो नमः ।।
, Long live Shri Krishna ..
Avatar means descent, descent; Someone comes from above, vacate the place, some light descends, some flood comes, all the garbage is swept away. Then what remains behind is the experience of Godliness. God is yet to be known, that’s why devotion and love for God cannot happen now. Shandilya has said four steps of love.
1- Affection- To the younger one, to the son, to the daughter, to the disciple, to the student, to the younger one.
2- Love- Towards equal, towards friend, towards wife, towards husband.
3- Shraddha- To someone better than you. To father, to mother, to teacher.
4- Devotion- towards the ultimate.
Wake up in love with affection, wake up in faith with love. It is very easy to reach Shraddha. Most people are stuck on love only, there is no thread of faith in their life. And those who do not have the formula of devotion in their life, devotion will not be born in their life. It is a sequential process. After faith there is devotion. , Lord Krishna Namo Namah.