अजब तेरी रघुराई, गजब तेरी है माया

अजब तेरी रघुराई गजब तेरी है माया
जीवन बीत गया तुझको ना समझ पाया
अजब तेरी रघुराई गजब तेरी है माया

पंचभूतो में बहती प्राण की जीवन धारा
चराचर में समाया जगत का पालन हारा
ऐसी सृष्टि रचाई कोई ना पार पाया।
अजब तेरी रघुराई गजब तेरी है माया।

चांद सुरज ये तारे, धरती अम्बर ये सारे।
जङ चेतन है संवारे। अजब तेरी रघुराई गजब तेरी है माया।

भोग कर्मों का फल है ज्ञान भक्ति का जल है
पुण्य तप दान से है, मुक्ति तेरे नाम से है।
जीना मरना अटल है, नियम कब रूकने पाया।
अजब तेरी रघुराई गजब तेरी है माया।

तू भुखा प्रेम का है, मै दया का भिखारी हूं।
तू सच्चे प्रेम को तरसे, तङफ मन में तुम्हारी है प्यास दिल की बुझाने तेरे दर चला आया।
अजब तेरी रघुराई गजब तेरी है माया।

तू अक्षर नाद ब्रह्म है,
नहीं आकार या साकार,
समाधि ध्यान में रमती,
ओम की शक्ति मुलाधार
भजन कर भगवान का,
यही जीवन सार है।
अजब तेरी रघुराई गजब तेरी है माया।जय श्री राम अनीता गर्ग

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *