हमें कुछ दो न दो भगवन !
कृपा की डोर दे देना
तुम्हारी हो जिधर चर्चा ,
हृदय उस ओर दे देना।
हमें कुछ दो न दो भगवन,
कृपा की डोर दे देना
हजारों साल से भटकी हुई हूं,
मृत्यु-जीवन में प्रभो ! इस जन्म में,
मुक्ति की शुभ भोर दे देना।
न जाने जन्म से कितने,
तुम्हारे ध्यान में डूबा,
हमें कुछ दो न दो भगवन,
कृपा की डोर दे देना
झलक कुछ रूप-रस,
माधुर्य की चितचोर दे देना।
न रहना चाहिए पिछला,
तनिक भी कर्ज प्रभु बाकी
लिखा हो भाग्य में जो कष्ट,
सब घनघोर दे देना।
हमें कुछ दो न दो भगवन
कृपा की डोर दे देना
जो भोला मन तुम्हें भाता रहा हैं
सिर्फ हे भगवन !
हमें छल से परे चातुर्य का
वह छोर दे देना।।
हमें कुछ दो न दो भगवन,
कृपा की डोर दे देना
जय श्री राधे गोविन्द जी
Give us something, God! give the string of grace
Wherever your discussion is, give your heart to that side.
I have been wandering in death and life for thousands of years.
Lord! Give me the auspicious dawn of liberation in this birth.
I don’t know how many since birth, I have been immersed in your attention.
Give a glimpse of some form, beauty and sweetness.
There should not be any debt left behind, Lord!
Whatever hardships are written in your destiny, give them all severely.
The innocent mind that has been pleasing you only, O Lord!
Give us that edge of tact beyond deceit.
Jai Shri Radhe Govind Ji