तुम विराट तुम जीवन धन हो ।
तुम सब प्राणो के प्राण
अणु-अणु की गति साधन संबल ।
तुम ज्योतित जय सत्य ललाम ॥
ओ मेरे प्रभु तुम्हीं चलाते ।
धरती का सारा व्यापार ॥
रक्षक सविता उन्नायक हे।
तुम अन्तर वीणा के तार ॥
जन-जन की प्रतिभा के प्रहरी ।
सत्य-अर्थ सुख के दातार ।
तुमसे मिलकर तुममें खोकर ।
सुन लूं प्रियतम प्राणपुकार ।
चलें सभी प्रिय पास तुम्हारे ।
करें तुम्हारा ही गुणगान
तुमसे लेकर ज्योति सुधाबल ।
धरती पाये शान्ति विराम।
तुम ही सत्य हो हे मेरे प्रभो।
तुम छाओ अन्तर में प्राण
दूर करो अज्ञान तिमिर तुम ।
प्राण भर दो जीवन में जय गान
जय श्री राम अनीता गर्ग