कृपा का तेरी एक कण चाहता हूं
न मैं धाम धरती न धन चाहता हूं।
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूं।
रटे नाम तेरा वह चाहूं मैं रसना ।
सुने यश तेरा वह श्रवण चाहता हूं ।
विमल ज्ञान धारा से मस्तिष्क उर्वर
वह श्रद्धा से भरपूर मन चाहता हूं
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूं
करें दिव्य दर्शन तेरा जो निरन्तर ।
वही भाग्यशाली नयन चाहता हूं ॥
नहीं चाहना है मुझे स्वर्ग-छवि की ।
मैं केवल तुम्हें प्राण-धन चाहता हूँ ॥
कृपा का तेरी एक कण चाहता हूं
प्रकाश आत्मा में अलौकिक तेरा हो ।
परम ज्योति प्रत्येक क्षण चाहता हूं ॥
कृपा का तेरी एक कण चाहता