भजमन राम चरण सुखदाई

भजमन राम चरण सुखदाई,
भजमन राम चरण सुखदाई ॥

जिहि चरननसे निकसी सुरसरि
संकर जटा समाई ।
जटासंकरी नाम परयो है
त्रिभुवन तारन आई ॥

भजमन राम चरण सुखदाई,
भजमन राम चरण सुखदाई ॥

जिन चरनन की चरन पादुका
भरत रह्यो लव लाई ।
सोइ चरन केवट धोइ लीने
तब हरि नाव चढ़ाई ॥

भजमन राम चरण सुखदाई,
भजमन राम चरण सुखदाई ॥

सोइ चरन संत जन सेवत
सदा रहत सुखदाई ।
सोइ चरन गौतमऋषि-नारी
परसि परमपद पाई ॥

भजमन राम चरण सुखदाई,
भजमन राम चरण सुखदाई ॥

दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो
ऋषियन त्रास मिटाई ।
सोई प्रभु त्रिलोकके स्वामी
कनक मृगा संग धाई ॥

भजमन राम चरण सुखदाई,
भजमन राम चरण सुखदाई ॥

कपि सुग्रीव बंधु भय-ब्याकुल
तिन जय छत्र धराई ।
रिपु को अनुज बिभीषन निसिचर
परसत लंका पाई ॥

भजमन राम चरण सुखदाई,
भजमन राम चरण सुखदाई ॥

सिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक
सेष सहस मुख गाई ।
तुलसीदास मारुत-सुतकी प्रभु
निज मुख करत बड़ाई ॥

भजमन राम चरण सुखदाई,
भजमन राम चरण सुखदाई ॥

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