आज का आध्यात्मिक विचार
भक्ति के रूप
कोई भजन गाकर भक्ति करता है
कोई प्रभु का नाम लिखकर भक्ति करता है
कोई सुमिरन करके प्रभु भक्ति करता है
कोई मौन रहकर भक्ति करता है
कोई हर सुंदर कार्य को ही भक्ति मानता है
कोई पूजा करने को ही भक्ति मानता है
कोई प्रभु सेवा करके भक्ति करता हैं
कोई नाम जप करके भक्ति करता हैं
कोई भगवान की लीला कथा सुनकर भक्ति करता हैं
कोई भगवान की स्तुति, गुणगान करके भक्ति करता है
कोई भगवान के लिए पद गाता है तो कोई नृत्य करके भक्ति करते हैं
कोई रोकर भक्ति करता हैं तो कोई हमेशा प्रसन्न रहकर भक्ति करता है
भक्ति करने का अपना अपना भाव है… प्रभु दर के रास्ते अनेक हैं लेकिन प्रभु सिर्फ एक है
जीवन में सारे दरवाजे बन्द हो सकते हैं लेकिन परमात्मा का द्वार तो सभी के लिए खुला रहता है
नही दरकार सागर की, कृपा की एक बूंद काफी है
रहूँ मस्ती में तेरी हरदम ….. मेरे केशव, इक तेरा ध्यान काफी है
गोविन्द तुम बिन कौन हमारा, प्राण प्रियतम हम दास तिहारे
अपने अपने गुरुदेव की जय
श्री कृष्णाय समर्पणं
Today’s Spiritual Thought form of devotion someone does devotion by singing hymns Someone does devotion by writing the name of God Someone worships God by remembering someone worships in silence Some people consider every beautiful work as devotion. Some people consider worship as devotion. One worships God by serving him. someone does devotion by chanting the name Someone does devotion by listening to the story of God’s pastimes. One does devotion by praising and glorifying God. Some sing verses for God and some do devotion by dancing. Some do devotion by crying while others do devotion by always being happy. Devotion has its own meaning… There are many paths to God but there is only one God. All the doors in life may be closed but God’s door remains open for everyone. No need of an ocean, one drop of grace is enough I will always remain happy with you… My Keshav, your attention is enough. Govind, who is ours without you, my beloved, we are your servants. Jai to our Gurudev Shri Krishna Samarpanam