मेरी बरसाने वारी प्यारी प्यारी प्यारी,
मेरी ब्रजरस वारी भानुदुलारी॥
रस बरसाने वारी बरसाने वारी,
प्यारी प्यारी भोरी भारी भानुदुलारी।
वारी वारी रँगीली महल वारी प्यारी,
जय हो जय हो नथ बेसरवारी प्यारी॥
प्रेमनिधि, छविनिधि, रसनिधि प्यारी,
नथवारी, भोरी भारी सुकुमारी प्यारी।
वारी वारी वारी छवि कुंजबिहारी,
मेरे तो हैं ठाकुर, छैल बिहारी॥
कोऊ भजें ब्रह्म कोऊ भजें बनवारी,
मैं तो भजूँ प्यारी प्यारी बरसाने वारी।
मेरी तो हैं ठकुरानी नथवारी प्यारी,
मेरे तो ‘कृपालु’ दोनों प्यारो अरु प्यारी॥
मेरी बरसानेवारी श्री राधारानी अत्यंत प्यारी हैं, जो वृषभानु दुलारी हैं, ब्रज रस प्रदान करने वाली हैं।
मेरी राधारानी प्रेम-रस की वर्षा करने वाली हैं जो बरसाना धाम में वास करती हैं, जो वृषभानु दुलारी हैं एवं अति भोली हैं।
हे रँगीली महल वाली प्यारी श्री राधा, आपकी बलिहारी है, हे नथ-बेसरवाली प्यारी, आपकी जय हो, जय हो।
मेरी राधारानी प्रेम, छवि एवं रस की निधि हैं, नथ धारण करने वाली अति भोली एवं सुकुमारी प्यारी हैं।
कुंजबिहारी श्री कृष्ण की सुन्दर छवि की बलिहारी है, मेरे ठाकुर तो छैल बिहारी श्री कृष्ण हैं।
कोई ब्रह्म को भजता है एवं कोई श्री कृष्ण को भजता है, मैं तो प्यारी-प्यारी बरसाने वाली श्री राधा को ही भजता हूँ।
जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज कहते हैं “मेरी ठकुरानी तो नथ धारण करने वाली प्यारी श्री राधारानी हैं। दोनों प्यारो और प्यारी तो मेरे ही हैं।”