अरे नैया के खेवनहार हमें जाना हैं परले पार
हरि चरणों की धुली लगते तिर गई गोतम नार
अरे नैया के खेवनहार हमें जाना हैं परले पार
चरण धोय चरणामृत लिनहा, बैठो श्री भगवन, सीता लक्ष्मण संग बिठाये, नाव चली मझधार।
अरे नैया के खेवनहार हमें जाना हैं परले पार।
नाव किनारे जा पहुंची तो उतरे श्री भगवान
लाज के मारे राम खङे क्या देऊ पार उतार
अरे नैया के खेवनहार हमें जाना हैं परले पार
पति के मन की बात को जान गई सीया नार, मेरे हाथ की अंगुठी दे दो दे दो पार उतार
अरे नैया के खेवनहार हमें जाना हैं परले पार
हाथ जोड़कर केवट बोला विनती सुनो भगवान,
मैने गंगा पार किया तुम करना भव से पार
अरे नैया के खेवनहार हमें जाना हैं परले पार