राधाजी का काजल

आज ललिता जू प्रिया जू का श्रृंगार कर रही हैं जब श्रृंगार पूर्ण हो गया तो प्रिया जू को दर्पण सेवा करायी विशाखा जू ने किशोरी जू ने जब अपने मुख चन्द्र को दर्पण मैं निहारा तो ललिता जू की ओर देखने लगी। आज ललिता जू ने श्रृंगार मैं त्रुटि कर दी थी ललिते आज आप काजल लगानो भूल गयी ललिता जू बोली लाडो जब काजल श्यामसुंदर की याद मैं आँखन सौ बह ही जानो है तो लगावे को लाभ हू कहा है, आप कह रही हो तो लगाय दुगीं नेक आँख तो बन्द करो प्रिया जू ने आँख बन्द की ललिता जू ने ईशारे से ठाकुर जी को अन्दर बुला लिया ओर प्रिया जू के सामने ठाकुर जी को खड़ा कर दिया। किशोरी जू ने जब नेत्र खोले ओर प्राणवल्लभ नन्दनन्दन को सामने पाया तो ह्रदय प्रैम रस से भर गया रोम-रोम से दिव्य प्रेमरस स्फुरित होने लगा किन्तु अगले ही पल किशोरी सहज हो रोष प्रकट करते हुऐ ललिता जू से बोली आपने यह काह कियो मैया कि आज्ञा को हू भय नाय रह्यो आपकू जो आप इनकू महल के अन्दर ले आयीं ललिता जू हाथ जोड़ के बोली लाडो आप दोऊन को हाल हमसौ देखो नाय जा रह्यो यहाँ आप व्याकुल ओर श्यामसुंदर ने तो भोजन पानी सब त्याग दियो आप ही बताओ हम केसे ये सब सहते। किशोरी जू अब कृत्रिम रोष प्रकट करते हुऐ बोली तो या सबसौ मेरे काजल कौ का सम्बन्ध, काजल की डिबिया तो ले आयो। ललिता जू हाथ जोड़ के बोली लाडली जू इनसौ बडो कोई कारो है का या संसार मैं श्यामसुंदर कू आज अपने नैनन मैं बसाय लेयो काजल के संग-संग एक और लाभ हू मिलेगो आपकू, अब काहू कि नजर हूँ नाय लगेगी। नन्दनन्दन ने प्रिया जू का दर्शन किया और वचन लिया कि वह उनको दर्शन देने के लिये अटारी पर जरूर आयेगी तो प्रिया जू ने भी ठाकुर जी को थोड़ा झिडका कि आप इतने महल के चक्कर लगाओगे तो यही होगा। दोनों ने एकदूसरे के परस्पर दर्शन किये। यह ब्रज की लीला है। बिना लाडली जू के दर्शन किये ठाकुर जी का कलेवा भी नहीं होता। सत्य कहा है रसिक सन्तो ने  चापत चरण करत नित सेवा बिन दर्शन नहीं होत कलेवा।  जय जय श्री राधे




Today Lalita Ju is making up Priya Ju. When the make up was complete, Vishakha Ju got Priya Ju done mirror service. When Kishori Ju looked at her face in the mirror, she started looking at Lalita Ju. Today Lalita Ju had made a mistake in makeup. Lalita, today you forgot to apply kajal. Lalita Ju said, Lado, when Kajal is in the memory of Shyamsundar, if the eyes know only a hundred, then it is said that there is a benefit in applying it. If you are saying so, then apply double the amount of kajal. So stop it. Priya Ju closed her eyes. Lalita Ju called Thakur ji inside with a gesture and made Thakur ji stand in front of Priya Ju. When Kishori Ju opened her eyes and saw Pranavallabh Nandanandan in front of her, her heart was filled with the juice of love. Divine love juice started oozing from every pore, but the next moment Kishori became comfortable and expressed her anger and said to Lalita Ju, why did you do this mother that I have ordered. Who am I? I am not afraid of you because you brought them inside the palace. Lalita said with folded hands, lad, look at the condition of both of you, don’t you go here, you are distraught and Shyamsundar has given up food and water, you tell me how we can bear all this. . Kishori Ju now expressed artificial anger and said, “Sabsoo, as far as my kajal kau is concerned, at least bring the kajal box.” Lalita Ju folded her hands and said, Darling, do you care about these hundred people or in this world, let Shyamsundar settle in your eyes today, you will get another benefit in the company of Kajal, now whose eyes will not fall on me. Nandanandan saw Priya Ju and took a promise that she would definitely come to the attic to give him darshan, then Priya Ju also scolded Thakur ji that if you keep circling around the palace so much, this will happen. Both of them saw each other mutually. This is the leela of Braj. Without visiting Ladli Zoo, even Thakur ji’s life would not have been complete. It is true that Rasik saints perform daily service without darshan. Hail Hail Lord Radhe

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