।। कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।
भगवान श्री कृष्ण की दिव्य रास लीला में प्रत्येक गोपी यही सोच रही थी की श्री कृष्ण सिर्फ मेरे साथ रास नृत्य कर रहे है किन्तु श्री कृष्ण ने १०८ रूप धारण कर रखे थे। इस रास नृत्य में चिन्मय रस का आदान-प्रदान है।
रस क्या है- ये रस भक्ति मार्ग की सर्वोच्च अवस्था है। जो भक्ति मार्ग की समझ रखता है वो आसानी से समझेगा; भक्ति मार्ग में आठ तत्व होते हैं- नाम तत्व, रूप तत्व, गुण तत्व, लीला तत्व, धाम तत्व, परिकर तत्व, प्रेम तत्व और रस तत्व। तत्व ज्ञान एक के बाद एक क्रम से किसी तत्व ज्ञानी व्यक्ति से सुनने के बाद आता है। सबसे अंतिम और सबसे जटिल ज्ञान है रस तत्व का ज्ञान।
यह रस तत्व का ज्ञान बुद्धि से परे का है, ये केवल कृपा सध्या है; कृपा से ही प्राप्त किया जा सकता है, सामान्य बुद्धि से कोई जीव इसे समझ ही नहीं सकता। यही कारण है कि राधाकृष्ण की रास लीला को लोग इस जगत के नृत्य गायन के समान समझते है, और ऐसा समझने से वो घोर अपराध अर्जित करते है, पाप अर्जित करते है नरक में जाते हैं।
इसे संसारिक जड़ बुद्धि से समझा ही नहीं जा सकता उसके लिए तत्व ज्ञान की पराकष्ठा तक पहुंचना पड़ेगा, इस रास लीला में जीवात्मा शक्ति का तो प्रवेश ही नहीं है। इसमे तो स्वरूप शक्ति और उसमे भी आह्लादिनी शक्ति के साथ राधा और गोपियाँ प्रवेश करती है और जीवात्मा तो बाहर ही रह जाती है, रास मण्डल में सेवा करती हैं।
जैसे भगवान ने गोपियों के साथ रास नृत्य किया, बीच में थोड़ा विश्राम हुआ; विश्राम के समय खिलाना-पिलाना, वस्त्र इत्यादि कि जो सेवा है वो मँजारियाँ करती हैं अन्यथा वो दर्शन करती रहती हैं दूर से, तो उनको भी माना जाता है कि रास लीला में प्रवेश कर गई। जीवात्मा रास मण्डल में तो प्रवेश कर जाती है किन्तु वे दर्शक रहती हैं। (मँजारियाँ- जो आत्मा होती हैं।)
श्री कृष्ण के साथ रास नृत्य में आत्माओ को अधिकार नहीं है। ये आत्मा-परमात्मा की लीला नहीं है; ये रागात्मिका भक्तों और स्वयं भगवान श्री कृष्ण की लीला है। इसमे रागनुगा भक्तों का प्रवेश नहीं है और वैदिक भक्तों का तो गोलोक में ही प्रवेश नहीं है। ।। श्री कृष्णाय वयं नमः ।।
, Krishna Krishna Hare Hare.
In the divine Raas Leela of Lord Shri Krishna, every Gopi was thinking that Shri Krishna was dancing Raas only with her but Shri Krishna had assumed 108 forms. In this Raas dance there is exchange of Chinmaya Rasa.
What is Rasa – This Rasa is the highest stage of the path of devotion. One who understands the path of devotion will understand easily; There are eight elements in the path of devotion – Name element, Form element, Guna element, Leela element, Dham element, Parikar element, Prem element and Rasa element. Tatv Gyan comes after hearing it from a Tatv Gyan person one after the other. The last and most complex knowledge is the knowledge of Rasa element.
This knowledge of Rasa element is beyond the intellect, it is only grace present; It can be achieved only by grace, no living being with normal intelligence can understand it. This is the reason why people consider Radhakrishna’s Raas Leela to be like the dance and singing of this world, and by thinking so, they commit grave crimes, commit sins and go to hell.
This cannot be understood with the worldly inanimate intellect, for that one will have to reach the pinnacle of elemental knowledge, there is no entry of soul power in this Raas Leela. In this, Radha and Gopis enter with Swaroop Shakti and in that also with Ahladini Shakti and the living soul remains outside, serving in the Raas Mandal.
As the Lord danced the Raas with the Gopis, there was a short rest in between; At the time of rest, the services of feeding, clothing etc. are done by the Manjaris, otherwise they keep watching from a distance, hence they are also considered to have entered the Raas Leela. The soul enters the Raas Mandal but remains a spectator. (Manjaris- who are souls.)
Souls have no right to dance with Shri Krishna. This is not the play of the soul and God; This is the leela of Ragatmika devotees and Lord Shri Krishna himself. Raganuga devotees do not enter here and Vedic devotees do not enter Goloka. , Shri Krishnay Vayam Namah.