श्रीकृष्णं वन्दे जगत गुरु
परमात्मा का अर्थ है आप भगवान राम मे भगवान कृष्ण मे अन्य देवता मे जिसमें भी आप का समर्पित भाव है वही आपके गुरु मात पिता है। आप ग्रथों में समर्पित है ग्रथं के अनुसार जीवन ढालते है यही आपकी अराधना है।
भगवान् जगत् के गुरू हैं और हम भी जगत् के भीतर ही हैं। हम असली महान् गुरु के शिष्य हैं। गुरू का मन्त्र है – गीता, रामायण । हम भगवान कृष्ण भगवान राम के जीवन को समझना नही चाहते हैं। इसलिए भगवान् को गुरू माने और उनकी गीता, रामायण ग्रंथों के सार को समझे , उसके अनुसार अपना जीवन बनायें तो हमारा निश्चित रूप से कल्याण हो जायगा। भगवान् के साथ हमारा स्वतन्त्र सम्बन्ध है। परमात्मा को अपने भीतर खोजों। मन्दिर मुर्ति ग्रथं साधन है। लगन का दीपक भीतर है भीतरी जागृती के बैगर कोई ईश्वर चिन्तन में गहरा उतर नहीं सकता है। हर घडी दिल मे तङफ की लहर उठती रहे कब प्रभु से मिलन होगा। तभी चिन्तन मार्ग आता है
शिष्य दुर्लभ है, गुरु नहीं। सेवक दुर्लभ है, सेव्य नहीं। जिज्ञासु दुर्लभ है, ज्ञान नहीं। भक्त दुर्लभ है, भगवान् नहीं।
वास्तव में कल्याण ईश्वर चिन्तन से ही होता है, प्रत्युत हमारी सच्ची लगन से होता है। खुद की लगन के बिना भगवान् भी कल्याण नहीं कर सकते। अगर कर देते तो हम आजतक कल्याण से वंचित क्यों रहते ?
अभी ढूंढो तो सही मार्ग बताने वाले सन्त-महात्मा मिलेंगे नहीं, पर आप सच्चे हृदय से भगवान् में लग जाओ तो वे स्वयं आकर आपको बतायेंगे। इतना ही नहीं, गुप्त रीति से रहने वाले सन्त-महात्मा भी आपके सामने प्रकट हो जायेंगे।
अगर सच्चे हृदय से कल्याण चाहते हो तो गुरु-शिष्य का सम्बन्ध मत जोड़ो, प्रत्युत सत्संग करो और जो बातें अच्छी लगें, उसके अनुसार अपना जीवन बनाओ। आज हमने अपने आप को पढना छोङ दिया है अपने आपको पढो।
I worship Sri Krishna, the Guru of the universe
God means you, Lord Rama, Lord Krishna or any other god, whoever you have devotion to is your Guru, Mother and Father. You are dedicated to the scriptures and mold your life according to the scriptures, this is your worship.
God is the Guru of the world and we too are within the world. We are the disciples of the real great Guru. Guru’s mantra is – Geeta, Ramayana. We do not want to understand the life of Lord Krishna and Lord Rama. Therefore, if we consider God as our Guru and understand the essence of His Gita and Ramayana texts and build our life accordingly, then we will definitely be blessed. We have a free relationship with God. Find God within yourself. Temple idol is a means of scriptures. The lamp of devotion is within; without inner awareness no one can go deep into the contemplation of God. Every moment a wave of anguish keeps rising in the heart as to when I will meet God. Only then comes the path of thinking
Disciple is rare, Guru is not. A servant is rare, not a servant. Curiosity is rare, knowledge is not. Devotees are rare, God is not.
In reality, welfare comes only by thinking about God and not by our true dedication. Even God cannot do good without his own dedication. If we had done so then why would we remain deprived of welfare till date?
If you search now, you will not find saints and mahatmas who can show you the right path, but if you devote yourself to God with a true heart, he will himself come and tell you. Not only this, the saints and mahatmas who live in secret will also appear before you.
If you want welfare from a true heart, then do not establish a guru-disciple relationship, instead do satsang and make your life according to whatever things you like. Today we have stopped studying ourselves, study ourselves.