राम जन्म चोपाई मै
स्वर्ण भूमि का कण -कण सारा, राम जन्म से मन है हर्षाया ।
परम अयोध्या सरयू बहती, पावन दीप जलाओ कहती।।
हर्षित होते सब नर नारी, करे आरती बने पुजारी।
ढोल नगाड़े बजते मंदिर, शंख सुहाने बजते अंदर।।
दशरथ के घर खुशियाँ आई,माँ कौशल्या है हरषाई।
दान दक्षिणा करें विदाई, पावन प्रथा वहीं से आई।।
परम सुहाना पर्व मनाए, नाचे गाए भजन सुनाए।
पुष्प देवता नित्य उड़ाए, सकल अयोध्या खुशबू आए।।
राम लला दर्शन नित करना, जल थल नभ पावन नित बहना।
सुख सागर दौड़ा जब आए, महिमा सृष्टि वहीं सुनाए।।
पायल घुंघरु सुंदर बाजे, दशरथ का मन वहीं विराजे।
शंकर दर्शन करने आए, शीश झुकाते राघव गाए।।
ठुमक- ठुमक कर राघव चलते, समय सुहाना देखा ढलते।
बचपन की लीला है प्यारी, लिखे नित्य ही भावुक सारी।।
परम भक्त है राम दुलारा,करें तैयारी लागे प्यारा।
राम नाथ जी शीश झुकाए, महिमा गाए हमें हँसाए।।