हमें कुछ दो न दो भगवन ! कृपा की डोर दे देना
तुम्हारी हो जिधर चर्चा , हृदय उस ओर दे देना।
हजारों साल से भटकी हुई हूँ मृत्यु-जीवन में
प्रभो ! इस जन्म में तो मुक्ति की शुभ भोर दे देना।
न जाने जन्म से कितने ,तुम्हारे ध्यान में डूबा
झलक कुछ रूप-रस-माधुर्य की चितचोर दे देना।
न रहना चाहिए पिछला ,तनिक भी कर्ज प्रभु बाकी
लिखा हो भाग्य में जो कष्ट ,सब घनघोर दे देना।
जो भोला मन तुम्हें भाता रहा है सिर्फ हे भगवन !
हमें छल से परे चातुर्य का वह छोर दे देना।।












