परमात्मा कण कण में समाया है। हमारे रोम रोम को प्रकाशित कर रहा है। दिल की धड़कन से परमात्मा के नाम की ध्वनि उजागर हो रही है। अनेकों वीणाए हर क्षण बज रही है। अन्तर्मन की ध्वनि को सुनने के लिए हमारे लगन समर्पित भाव को मिश्रित करना है। हम ईश्वर को जिस नाम से ध्याएगे हमे भीतर और बाहर वही नाम ध्वनि सुनाई देगी। हमारे रोम रोम में ध्वनि उजागर होगी। हम मुख से एक बार में एक परमात्मा बोलते हैं लेकिन रोम रोम में परमात्मा के नाम की ध्वनि प्रकट होगी और वीणाए बजने लगेगी। भक्त आनंद मगन होकर कहता है कि मेरे स्वामी भगवान् नाथ मेरी पुकार के साथ हीं अन्दर बैठकर मुझे पुकार रहे हैं और कहते हैं कि इस जगत के झुठे जंजाल को छोड़कर मेरे मे मन लगाकर देख। तुझे आनंद से तृप्त करके तेरा जन्म और मृत्यु दोनों सुधार दुगां। परम पिता परमात्मा कहते हैं कि तु मुझे पुकार तो सही तु जैसे भी पुकारेगा मै तेरी पुकार सुनने के लिए हर क्षण तैयार खङा हूँ।
प्रेम से मां अपने बच्चे को अनेकों नाम से बुलाती है ऐसे ही भक्त भगवान् को भाव विभोर हो दिल में समा लेना चाहता है भक्त भगवान् से प्रार्थना करते हुए कहता है कि हे परमात्मा जी हे प्रभु प्राण नाथ तुम ही मेरे सब कुछ हो। हे परमात्मा जी तुम मेरे मालिक हो स्वामी भगवान् नाथ हो। मेरे तो सर्वस्व आप ही हो। हे परमात्मा जी मेरा और तुम्हारा सम्बन्ध तो जन्म जन्मानतर का है। फिर तुम मेरी तरफ नज़र क्यों नहीं करते।हे परमात्मा जी इस आत्मा के स्वामी आप ही हो। हे प्रभु प्राण नाथ मै अपने स्वामी भगवान् नाथ को कोटि कोटि प्रणाम करती है। जय श्री राम अनीता गर्ग
God is contained in every particle. Publishing our rom rom. The sound of God’s name is being revealed by the beating of the heart. Many veenas are playing every moment. To listen to the inner voice, our dedication and devotion have to be mixed. By which name we meditate on God, we will hear the same name sound inside and outside. The sound will shine in our Rome Rome. We speak one God at a time through our mouths, but the sound of God’s name will appear in Rome and the veena will start playing. The devotee happily says that my lord Bhagwan Nath is sitting inside with my call and calling me and says that leave the false web of this world and look after me. Satisfying you with joy, I will improve both your birth and death. The Supreme Father, the Supreme Soul, says that if you call me right, I am standing ready every moment to hear your call.