बच्चे को बङा बना कर पालन करे

बच्चे को बङा बना कर पालन करे मात पिता बच्चे को यदि छोटा समझ कर बच्चे को छोटा बनाकर पालन पोषण करते हैं तब अपने कर्तव्य से चुक जायेंगे। छोटा शब्द मोह का प्रतीक है। बङा शब्द गुणो से भरा हुआ है प्रेम का प्रतीक है। हम बच्चे में गुण देख रहे हैं।  मोह मात पिता मे आ जाता है। आवश्यकता से अधिक मोह मानव जीवन को बनने नहीं देता है। मोह में हम दिल से स्टरोंग नहीं है।

हम भीतर से कमजोर हो गये तब बच्चे को क्या बना पायेगे।  उसे किसी प्रकार का भय नहीं रहेगा। वह मात पिता पर भारी होगा। हमे बच्चे को आवश्यकता से अधिक मनमानी नहीं करने देनी है। बच्चे को एक एक कार्य सिखाने के लिए हमे अपने आप को तैयार करना है। यदि मै बहुत नर्म बनता हू तब बच्चे का भविष्य क्या है। उस दर्पण को देखना पढना आवश्यक है। आज हम नर्म पङ जाते तब हमारे हाथ से बच्चा निकलते समय नहीं लगेगा।

ऐसे में हमे सांस की exercise करनी चाहिए। सांस भीतर लेकर मुह से नहीं नाक से सांस छोङे।मुह से सांस बाहर जाते ही हमारे भीतर की power भी चली जाती है।

power क्या है।  हमारे भीतर की कार्य शैली सोचने समझने की power ko power कहां जाता है। हमारे मन  मे कोई भी विचार आया हमे उसको करने का तरीका मन मे तभी आ गया मैं कैसे कार्य करू। दुसरा हम हर कार्य को करने के लिए अन्य से पुछते है mobile me search करते हैं ।तब उसके अनुसार कार्य को रूपरेखा देते हैं। दुसरा हमारा mind  अपने आप कार्य करने लग गया। हमारा mind इतना अधिक powerful है कि हर समस्या हर परिस्थिति का हल सैकिंडो मे खोज लेता है। वह हर question को solve कर सकता है। आज mobile ने हमारे mind ki strongnes को कमजोर किया है। पहले कोन बताने वाला था। हम जब कार्य करते हैं तब सांस नाक से निकलती है। नाक से सांस लेते हैं।

नाक से सांस छोड़ने पर हृदय स्टरोगं होगा। सांस को लेकर मुख से छोङते तब हृदय कमजोर होगा। हृदय की कमजोरी मोह का रूप है। जब हम स्वयं कमजोर होंगे तब बच्चे मे art को कैसे रूप रेखा दे पायेगे।

पहले मैदर पर घर का कार्य बहुत होता था। और बच्चे को भी गोद में रखते थे। इससे मैदर के भीतर extra energy level बढ जाता था। गायन हमारे energy level को बढा देता है।    गलत कार्य करने पर बच्चे को एक समय प्रेम से भुला कर गुस्सा होकर भी सुधार करती है। मोह पास आ नहीं सकता था।  माता अपने जीवन का एक एक मिनट बच्चे को बनाने में लगाती थी। वही बच्चे कुछ बन पाते हैं। मैदर पहले बच्चो को वीरता की रानी लक्ष्मी बाई सुभाष चंद्र बोस चक्रवती सम्राट अशोक की  भगवान राम ने रावन के साथ कैसे युद्ध की शिवाजी की, हल्दी घाटी पर कैसे विजय प्राप्त की इब्राहिम लिंकन की जो स्ट्रीट लाईट मे पढकर अमरीका के राष्ट्रपति बने।

स्टोरी सुना कर बच्चे मे कार्य करने की प्रेरणा भर्ती थी बच्चे को कथा कहानी के माध्यम से संस्कृति पैदा करती थी। बच्चे के अन्दर कुछ विशेष करने के गुण पैदा करना मात पिता का प्रथम कर्तव्य है।

यदि मात पिता बच्चे को बङा सोच कर पालन पोषण करते हैं तब हम बच्चे को सच्चा प्रेम कर पायेंगे। प्रेम बनाता है तब मोह बिगाड़ता है। प्रेम ऊपर से सख्त दिखाई देता है गुणो का निर्माण करता है तब हम बच्चे को ऊपर से थोङे सख्त दिखते हुए भी नर्म होगे। क्योंकि हम मन से कमजोर नहीं है। हमारे भीतर anergy level strong hai. Energy level strong होने पर हमारे भीतर बङी विचार शक्ति कार्य करती है बङी विचार शक्ति मे हम मन से कमजोर नहीं है सकीरण विचार आ नहीं सकते हैं।  बच्चे को एक कार्य सिखाने में एक सप्ताह लगता है। बच्चे जल्दी बात को सिखते है।  मात पिता को करते देखकर सिख जाते हैं। एक एक काम सिखाना होता है। बच्चे की प्रत्येक किरया पर नजर रखे। हम great thinking के द्वारा़ बच्चे मे एक भी bed habits को पनपने नहीं देते हैं।

उसे उसी समय प्रेम से गुस्से से ठीक करने मे लग जाते हैं। हम बच्चे मे बङा पन देखते हैं। मेरा बच्चा बहुत strong है बङा पन देखना क्या है बच्चे के भीतर गुणो को देखना गुणो का रोपण करना मै मेरे बच्चे को सबसे तेज बनाना चाहता हूं। मेरा बच्चा प्रथम आयेगा। बच्चे मे good habit के लिए जितना हम परिश्रम करते हैं वह मेहनत कुछ दिनो की है। जैसे बच्चे को भोजन कराते हुए हम बच्चे को कुछ बिखेरने नहीं देते हैं तब उसे ऐसी ही habit पङ जायेगी की खाना खाते हुए हाथ नहीं मारना है। टेबल पर खाना नहीं डलना चाहिए। और हम  कुछ कहते नहीं है तब उसे कैसे जानकारी होगी कि खाना कैसे खाना है। बच्चा अबोध है जैसा आप बनाओगे बन जायेगा। आप सिखाते है खाना बिखेरना नहीं है दो तीन दिन लगेंगे वह वैसे ही करने लगेगा। आप को dress change table  hand cleaning nhi kerni hogi.
बच्चे का पालन पोषण मात पिता की परिक्षा है कि हम कितना बनाते हैं।  मात पिता को मेहनत हर सम्भव करनी होती है। हम बच्चे के भविष्य के निर्माता बन कर करे। आज डाईपर का सिस्टम है two, three months six months का होने पर हम बच्चे को bathroom or potty kerne ki habit daale शिशु बङा हो गया तब बैठेगा नहीं बच्चे को बिठाकर शि शि शि करने पर बच्चा bathroom or potty kerna legega. बच्चा माता पिता पर भारी नहीं पङे। एक बार बच्चे का भारीपन जिद्द को नजर अंदाज कर देते हैं तब वह हर कार्य जिद करके रोकर मनवाने की कोशिश करेगा।

चाहे पहले बहुत अधिक लाङ करके जीवन भर पछताये। एक बार बच्चा जिद्दी बन गया तब प्रत्येक चीज पर खाने पर सोने पर वस्त्रो पर toy पर market me बच्चा जिद्द करेगा। इसलिए मात बच्चे मे जैसा माता  भोजन बनाती है वैसा ही खाने की habit डालती है। माता बच्चे के लिए एक से बढ़कर एक चीज बनाती है। लेकिन पहले बच्चे को अपने घर के अनुसार बना कर। क्योंकि यदि हर समय अलग से बनाते हैं तब तीनो समय अलग बनाना बड़ा कठिन है। धीरे-धीरे घर में जैसा बनाते हो वैसा ही बच्चे को खिलाने पर मन की परेशानी कम होती है। माता पिता के साथ बच्चा खाना खाना सिख जाता है।

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