एक दिन मैं सड़क से जा रहा था, रास्ते में एक जगह बोर्ड लगा था, ईश्वरीय किराने की दुकान…!!
मेरी जिज्ञासा बढ़ गई क्यों ना इस दुकान पर जाकर देखूं इसमें बिकता क्या है?
जैसे ही यह ख्याल आया दरवाजा अपने आप खुल गया, जरा सी जिज्ञासा रखते हैं तो द्वार अपने आप खुल जाते हैं, खोलने नहीं पड़ते, मैंने खुद को दुकान के अंदर पाया…!!
मैंने दुकान के अंदर देखा जगह-जगह देवदूत खड़े थे, एक देवदूत ने मुझे टोकरी देते हुए कहा, मेरे बच्चे ध्यान से खरीदारी करना, यहां सब कुछ है जो एक इंसान को चाहिए है…!!
देवदूत ने कहा एक बार में टोकरी भर कर ना ले जा सको, तो दोबारा आ जाना फिर दोबारा टोकरी भर लेना!
अब मैंने सारी चीजें देखी, सबसे पहले “धीरज” खरीदा, फिर “प्रेम”, फिर “समझ”, फिर एक दो डिब्बे “विवेक” के भी ले लिए…
आगे जाकर “विश्वास” के दो तीन डिब्बे उठा लिए, मेरी टोकरी भरती गई…
आगे गया “पवित्रता” मिली सोचा इसको कैसे छोड़ सकता हूं, फिर “शक्ति” का बोर्ड आया शक्ति भी ले ली..
“हिम्मत” भी ले ली सोचा हिम्मत के बिना तो जीवन में काम ही नहीं चलता…
थोड़ा और आगे “सहनशीलता” ली फिर “मुक्ति” का डिब्बा भी ले लिया…!
मैंने वह सब चीजें खरीद ली जो मेरे प्रभुजी को पसंद हैं, फिर एक नजर “प्रार्थना” पर पड़ी मैंने उसका भी एक डिब्बा उठा लिया..
वह इसलिए कि सब गुण होते हुए भी अगर मुझसे कभी कोई भूल हो जाए तो मैं प्रभु से प्रार्थना कर लूंगा कि मुझे भगवान माफ कर देना..!!
आनंदित होते हुए मैंने टोकरी को भर लिया, फिर मैं काउंटर पर गया और देवदूत से पूछा, सर.. मुझे इन सब समान का कितना बिल चुकाना होगा.??
देवदूत बोला मेरे बच्चे यहां बिल चुकाने का ढंग भी ईश्ववरीय है, अब तुम जहां भी जाना इन चीजों को भरपूर बांटना और लुटाना, जो चीज जितनी ज्यादा तेजी से लूटाओगे, उतना तेजी से उसका बिल चुकता होता जाएगा और इन चीजों का बिल इसी तरह चुकाया किया जाता है…!!
कोई- कोई विरला इस दुकान पर प्रवेश करता है, जो प्रवेश कर लेता है वह माला-माल हो जाता है, वह इन गुणों को खूब भोगता भी है और लुटाता भी है…!!
प्रभू की यह दुकान का नाम है “सत्संग की दुकान।
सब गुणों के खजाने हमें ईश्वर से मिले हुए हैं, फिर कभी खाली हो भी जाए तो फिर सत्संग में आ कर टोकरी भर लेना…
हे प्रभू ! इस दुकान से एक चीज भी ग्रहण कर सकूं ऐसी कृपा करना।🙏
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।
My curiosity increased, why not go to this shop and see what is sold in it?
As soon as this thought came, the door opened on its own, if you have a little curiosity then the door opens automatically, I don’t have to open it, I found myself inside the shop…!!
I saw inside the shop, angels were standing everywhere, an angel gave me a basket and said, my children, shop carefully, here is everything that a person needs…!!
The angel said if you can’t fill the basket at once and take it away, then come back and fill the basket again!
Now I saw all the things, first bought “endurance”, then “love”, then “understanding”, then even bought a couple of boxes for “conscience”…
I went ahead and picked up two or three boxes of “faith”, my basket was filled…
Went ahead got “purity” thought how can I leave it, then the board of “Shakti” came and took power too.. Took “courage” too, thought without courage, life doesn’t work…
Took “tolerance” a little further and then took the box of “liberation” too…!
I bought all the things that my lord likes, then I took a look at the “prayer” I picked up a box of that too..
That is because despite having all the qualities, if I ever make any mistake, then I will pray to the Lord that God forgive me..!!
Rejoicing I filled the basket, then I went to the counter and asked the angel, Sir.. how much will I have to pay for all these items.??
The angel said, my children, the method of paying the bill here is also divine, now wherever you go, distribute and lavish these things abundantly, the faster you loot, the faster its bill will be paid and the bill for these things will be paid in this way. is done…!!
Somebody seldom enters this shop, the one who enters becomes rich, he enjoys these qualities a lot and also spends it…!!
The name of this shop of the Lord is “Satsang Shop.
We have got the treasures of all virtues from God, even if it becomes empty again, then come to satsang and fill the basket…
O Lord! Please do so that I can get even one thing from this shop.
What is received is sufficient.