साई क्या करू तारीफ तेरी

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साई क्या करू तारीफ तेरी,
तू ही दीखता हर मंजर में इस ज़मीन और उस  अम्बर में,
हर जगह है तू ही तू,
साई तू साई तू साई तू,
साई क्या करू तारीफ तेरी,

मेरी हर इबादात में तुम आरजू में तुम ही तुम,
मेरी दिल की हर धड़कन में यु वसे हो तुम ही तुम,
तेरे बिन तो कुछ भी नहीं मैं दुनिया सब की मेरा तू,
साई तू साई तू साई तू,
साई क्या करू तारीफ तेरी,

तेरी शान तो सब से आली,
बस तू ही इक नेक है,
तेरा कहना मैं कहता हु सबका मालिक एक है,
मेरा मोला मेरा साई बन गया है तू ही तू,
साई तू साई तू साई तू,
साई क्या करू तारीफ तेरी,

मेरे हर अल्फाजो में तुम मेरे हर खवाबो में तुम,
चाहु कर्म बस इतना साई कभी जुदा न होना तुम,
जब से आया तेरी शिरडी मेरी हर सांसो में तू,
साई तू साई तू साई तू,
साई क्या करू तारीफ तेरी,

Sai what should I praise you,
You alone can be seen in every scene in this land and in that amber,
You are everywhere
Sai Tu Sai Tu Sai Tu,
Sai what should I praise you,

In every prayer of mine, you are the only one in my heart.
In every beat of my heart, you are the only one
Without you, I am nothing, I am all mine of the world,
Sai Tu Sai Tu Sai Tu,
Sai what should I praise you,

Your pride has come above all,
You are the only one
I say you say, everyone’s master is one,
My Mola has become my Sai, you are you,
Sai Tu Sai Tu Sai Tu,
Sai what should I praise you,

In my every alpha you are in my every dream,
Wish you only so much sai that you should never be separated,
Ever since you came to Shirdi, you were in my every breath,
Sai Tu Sai Tu Sai Tu,
Sai what should I praise you,

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