पत्थर के बन के पत्थर दिल क्यों हो गये हो तुम,
जागो हे साई नाथ कहा सो गये हो तुम,
कहते थे तुम तो हर पल भगतो के साथ हु,
हु दूर चाहे जितना भी पर उनके पास हु,
दर दर भटकता हु मैं कहा खो गये हो तुम,
जागो हे साई नाथ कहा सो गये हो तुम,
चढ़ ते हुई तूफान भी तुझसे खोफ खाते,
गहरे भवर भी तेरे आगे है सिर झुकाते,
जिस कश्ती के खिवैयाँ साई हो गये हो तुम,
जागो हे साई नाथ कहा सो गये हो तुम,
ना आस मेरी टूटे गई एहसास है मुझे,
जाऊँगा न निराश ये विश्वाश है मुझे,
मेरे तो साथ हर पल अब तो हो गये हो तुम,
जागो हे साई नाथ कहा सो गये हो तुम,
Why have you become a stone heart after a stone?
Wake up, O Sai Nath, where have you gone to sleep?
You used to say that you are with the devotees every moment,
No matter how far I am near him,
I wander from door to door, where have you been lost,
Wake up, O Sai Nath, where have you gone to sleep?
Even the rising storm would hide from you,
Even the deepest storms are in front of you, bowing your head,
The boat whose boats have become Sai, you
Wake up, O Sai Nath, where have you gone to sleep?
No hope is my broken feeling,
I will not be disappointed, this is my belief,
You are with me every moment now,
Wake up, O Sai Nath, where have you gone to sleep?