भगवान की भक्ति

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जो भक्ति करता है उसके पास कुछ भी सोचने के लिए समय नहीं है। भक्ती का नाम न्योछावर है। भक्त हे प्रभु हे स्वामी भगवान् तुम मुझे अपने से दूर न करना। भक्त भगवान् नाथ का ध्यान धर रहा है। भक्त भगवान को ध्याते ध्याते मन्दिर जाता है।

सुबह से भगवान का चिन्तन कर रहा है। मन्दिर में भगवान के दर्शन करता है शीश झुका कर बार बार नमन और वन्दन करता है भगवान को अन्तर्मन से निहारता है भक्त भगवान के चरणो का ध्यान धरता है। दिल है कि तृप्त ही नहीं होता है। अन्तर्मन से बैठा निहारता है। अपने भगवान मे खो जाता है नैन बन्द करके भगवान को दिल ही दिल में निहारता है अन्तर्मन से निहारते हुए ऐसा लगता है भगवान ने रूप धारण किया है भगवान आते दिखाई देते हैं। भक्त तभी दोङ कर विग्रह के सामने लेट जाता है  भक्त कहता है हे मेरे प्रभु प्राण नाथ आपने मेरे लिए आने का कष्ट क्यो किया और दोङ कर वहीं चरणों में लोट जाता है। मेरे भगवान ने इतना कष्ट उठाया नैनो नीर बहाते हैं भक्त अन्तर्मन से प्रार्थना करता है मेरे प्रभु प्राण मेरे स्वामी भगवान् तुमने मुझ अभागी के लिए आने का कष्ट क्यो किया मेरे नाथ तुम और कष्ट मत ऊठाओ नैन नीर बहाने लगते हैं। भगवान के चरणो में नतमस्तक होकर शीश झुकाकर बार बार वन्दना करता है भुल जाता है अन्य बहनें भी मन्दिर में बैठी है अन्तर्मन से भगवान को प्रणाम और प्रार्थना करते हुए घर आ जाता है पर दिल भगवान नाथ का बन जाता है।   भक्त कहता है भगवान जी बस मैं तुमको ध्याता रहू। प्रभु प्राण नाथ ये सब तुम मुझ पर कृपा करते हो तभी संभव है। भक्त का एक ही काम है भगवान् के साथ अन्तर्मन से जुड़ना । भक्त की प्रार्थना होती है मै तुझे रिझाता रहू तुम आते रहो मै तुम्हे हर परिस्थिति में पुकारता रहूं हर पल हर घङी दिल मे यही अरमान रहे मै भगवान का हूं भगवान् मेरे है। भगवान् का नाम लेना भगवान् का चिन्तन और मन्न करना राम राम राम राम भजता रहूं ।जो सच्चे भक्त होते हैं वे एक पल भी भगवान को भजे बैगर रह नहीं सकते हैं उनका भगवान से अन्तर्मन का सम्बन्ध होता है। जय श्री राम

अनीता गर्ग



He has been contemplating on God since morning. He has darshan of God in the temple, bows his head repeatedly and bows down and worships God with conscience, the devotee meditates on the feet of the Lord. There is a heart that is never satisfied. He gazes deeply. He is lost in his God, closing his eyes and looking at God in the heart, looking at him from the inside, it seems that God has taken the form, God is seen coming. Only then does the devotee lie down in front of the Deity. My God has suffered so much, Nano neer sheds, the devotee prays to the heart, my Lord Prana, my lord Lord, why did you bother to come for my unfortunate, my Nath, you do not cause more trouble, Nain Neer starts making excuses. Bowing down at the feet of God, he bows his head again and again, forgets that other sisters are also sitting in the temple, they come home, bowing and praying to God, but the heart becomes that of Lord Nath. The devotee says, Lord, just let me keep an eye on you. Lord Pran Nath all this is possible only if you have mercy on me. The devotee’s only job is to connect with the Supreme Personality of Godhead. The devotee’s prayer is, I keep wooing you, you keep coming, I keep calling you in every situation, every moment, every moment, this desire in my heart, I belong to God, God is mine. Taking the name of the Lord, contemplating and meditating on the Lord, keep on worshiping Ram Ram Ram Ram. Long live Rama

Anita Garg

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